"दौलत-ओ-हैसियत पर खड़ा है ये इश्क़ वगैरह,
फिर आम सी शक्ल भी हो तो मलाल नहीं !"
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नये ज़माने का लड़का हूँ पुराने ख्यालातों वाला..!!... read more
वीर प्रतापी कुल में जन्मा राजस्थानी राणा था,
बहुत हुए राणा फिर भी एक वही महाराणा था,
लाल केसरी तिलक जो उसके माथे पर विराजा था,
एक वही मेवाड़ मुकुट वो एकछत्र महाराजा था,
रोक रखा था जिसको तटपर आक्रान्ति वो राजा था,
आर्यवर्त में घुसने को बस मेवाड़ी दरवाजा था,
राज भी छूटा, पाठ भी छूटा सब कुछ ही जब न्यारा था,
मातृभूमि का टुकड़ा उसको प्राणों से भी प्यार था,
तब भीलों की सेना लेकर अकबर को ललकारा था,
घांस की रोटी वालों ने तब वज्रों की झंकार भरी,
बरछे, भाले, तलवारों की एकमुश्त टंकार भरी,
तब हल्दीघाटी की रणभूमि में वीरों ने हुंकार भरी,
रही लगाम थी एक घोड़े की सदा ही जिसके हाथ में,
एक चेतक भी अमर हुआ है महाराणा के साथ में,
कुल के नाश की मंशा पाले बलबीर की हरकत शैतानी थी,
बेटा खो कर जिसने दे दी बहुत बड़ी कुर्बानी थी,
पन्ना धाय और राणा उदय की ऐसी एक कहानी थी,
आत्मसम्मान को ऊपर रखकर जीवन को आधार दिया,
प्रजा की रक्षा ख़ातिर उसने तलवारों को धार दिया,
मातृभूमि पर उसने अपने जीवन को ही वार दिया,
शौर्य-समपर्ण गाथा उसकी सदियों तक हम गाएंगे,
अंत काल तक यूँ ही उनकी जन्म जयंती मनायेंगे,-
"आज एक पुराना वाकया याद आया,
फ़िर ये ना पूछो की क्या-क्या याद आया !"
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एक रात जग कर बनता है मतले का इक हर्फ़,
लोग 'वाह-वाह' करके दर्द का तमाशा बना देते हैं !"-
देखना एक दिन 'खुशियों' को लगेगी लाखों बद्दुआएं,
रिश्वत लेकर इसने अमीरों से,
हम ग़रीबों को रुसवा कर दिया।-
"मायूस बैठा मैं... बस यूँ ही मुस्कुरा उठा,
की उसका ख्याल मुझे बस छू कर गुज़रा था !"
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"बेहतर है सहोदर होने से सौतेला होना,
क्योंकि सौतेले को उसके सारे रिश्ते उसे,
सहोदर बनकर मिलते हैं, वहीं उस सहोदर
के सारे रिश्ते उसके सौतेले हो जाते हैं !"
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मेरे तमाम शेरों का नामुकम्मल होना मुझे क़ुबूल था,
ऐ काश की तू मोहोब्बत में वफ़ादार होती।-
"खुशी के आँशु"
दरअसल खुशी का आँशु परोक्ष रूप से एक मिथ्या है !
आँशु तो सदैव ही वेदना का सूचक रहा है और वेदना तभी प्रस्फुटित होती हैं जब आपका प्रतिफल तप की पराकाष्ठा के पश्चात मिले।
जैसे एक शिशु का जन्म होना खुशी है वहीं प्रसव की पीड़ा से उत्पन्न वह आँशु केवल वेदना मात्र है जिसको बड़ी चातुर्यता से "खुशी के आँशु" कह दिया जाता है।-
"देखो आज चाँद पर नुख़्ता लग गया,
ज़रूर फरिश्तों ने तुम पर कसीदे लिखे होंगे !"-