QUOTES ON #उम्र

#उम्र quotes

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5 MAY 2020 AT 12:28

उम्र की ये दुश्वारियां तो रोज़ बढ़ती जाएँगी
वक्त रहते ही मोहब्बत कर गुज़रना चाहिए

जंग न लग जाये यारों इस दिल ए नादान को
रंगो- रोगन इश्क का थोड़ा तो चढ़ना चाहिए

उम्र निकली जा रही है फ़ाक़ा मस्ती में यूँ ही
इश्क में पड़कर किसी के काम आना चाहिए

एक दिन मर जायेगा गुमनाम सा ही तू यहां
नाम तेरा भी जुबां पर लोगों के आना चाहिए

है जवां वो ही के यारों इश्क जिसने कर लिया
रोग ये लग जाये तो, न फिर मुकरना चाहिए

वो हसीं मिल जाएगा तुझको ज़रूरी तो नहीं
हर हसीं चेहरे पर थोड़ा थोड़ा मरना चाहिए

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27 MAY 2020 AT 6:23

तमाम उम्र दिल को एक उसी से प्यार रहा,
इंतज़ार... इंतज़ार... इंतज़ार... रहा!

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7 DEC 2019 AT 15:28

हर रिश्ते की एक उम्र होती है,
पानी का बोझ बादल कब तक सहे।

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26 DEC 2018 AT 22:13

पूरी एक उम्र लगती है मियाँ
किसी से बे-हद, बे-पनाह, बे-ग़रज़
शिद्दत भरी मोहब्बत होने में

और तुम कहते हो
मोहब्बत तो बस यूँ ही
एक नज़र में ही हो जाती है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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9 APR 2018 AT 10:37

ततावुल ना किया कर...तू अपने हुस्न पे इतना,
उम्र चढ़ेगी...तो ये उतर जाएगा...
सुना है तेरे शहर में...चूहे बहुत है...
कोई आशिक़ बनकर...कुतर जाएगा ।😍😂😘

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25 AUG 2020 AT 19:18

जुर्म मोहब्बत किया मैंने उसने उम्रकैद सुना दिया
मैंने भी अपने दिल के सलाखों में उसे कैद कर लिया ।

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8 NOV 2021 AT 19:56

टालने से कहाँ.. टल रही है
रफ़्ता-रफ़्ता.. उम्र ढल रही है,

दिल का आलम कुछ यूँ है आजकल
जैसे धूप.. पानी में जल रही है,

यूँ ही बैठे-बैठे भर जाती हैं आँखें
कमी कुछ तो.. खल रही है,

अभी तो वो भी नहीं मिला है मुझको
ज़ुस्तजू.. जिसकी मुझे हर पल रही है,

और कमबख़्त...
अब मौत माँगती है मुझसे अपना हिस्सा
मेरी.. ज़िन्दगी से बहस चल रही है!

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6 DEC 2019 AT 20:36

गुजरते आज देखा ख़ुद को
जब आईने में पड़ी नज़र,

ख़ुद को ही पहचानने में
लग गयी सारी उम्र,

चेहरे से मेरे ही मैं
यह बिछुड़ गया किस क़दर,

आंखों से निकल कर
जो थम गया होठों पऱ,

ईक आँसू बता गया
सारी ज़िन्दगी का सफ़र..!

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4 NOV 2021 AT 6:18

ज़िन्दगी की कश्ती चलती रही.. ख़्वाइशों के अंतहीन साग़र पे
और हम बूँद-बूँद कर बहते रहे.. उम्र की छलकती गागर से,

हैराँ हूँ...के जिस तन में राम-रहीम बसे.. उस तन की कोई क़दर नहीं
और जिस पत्थर में कोई रूह नहीं.. उसे लोग पूजते हैं बड़े ही आदर से,

सुनाई दास्ताँ जब मुहब्बत की.. तो जुबाँ पे चर्चे तो सारे उसके थे
उफ़्फ़.. हम अपनी ही कहानी में.. कितने रहे नदारद से,

अब कैसे कहें तक़दीर से.. के हमें कम.. क्या-क्या मिला
दो नयनों के हिस्से में.. आँसू तो हर बार बराबर थे,

ज़िन्दगी की कश्ती चलती रही.. ख़्वाइशों के अंतहीन साग़र पे
और हम बूँद-बूँद कर बहते रहे.. उम्र की छलकती गागर से,

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17 APR 2020 AT 9:15

उम्र भी कम पड़ जाती उन्हें प्यार करने को.....

और वो थक गए हमसे और हमारी मोहब्बत से......❣️

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