QUOTES ON #उमंग

#उमंग quotes

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17 AUG 2020 AT 18:27

तुम्हें देख कर धड़कने थम जाया करती है
मन में इक नई उमंग जग जाया करती है
हमे आपसे प्यार है, तन्हाइयाँ हमे बतया करती है

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21 MAR 2019 AT 12:58

रंग है उमंग का चढ़ा है हर ढंग पर खेल रही रंग से एक गाँव की छोरी है,
गुलाल है जो गाल पर लगा है और भाल पर भीग रही रंग में एक गाँव की गोरी है।
पास है जो साँस के आस है एहसास भी वनवास है उसी को ही आया नहीं वही,
सिंदूर है जो माँग का दूर है सुहाग वही रो रही आज एक गाँव की किशोरी है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)

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29 JAN 2020 AT 11:19

उमंग
उमंग है कुछ करने की,
उमंग है कुछ बनने की,
जो सपने देखे है उनको पूरा करने की,
समाज में नया बदलाव लाने की,
अपना अस्तित्व बनाने की,
उमंग है कुछ नया करने की,
अपना इतिहास बनाने की,
उमंग है कुछ करने की,
उमंग है कुछ बनने की।।।

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1 DEC 2019 AT 9:28

अंधेरा भगा दिया।
गहरी नींद से उसने
मुझे जगा दिया।
मेरे मन में उमंग का
दीपक जला दिया।

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7 JUL 2020 AT 6:39

दिल में खुशियों का होता है उमंग,,
जब वो मेरे होते है संग।।

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19 OCT 2018 AT 11:01

So...
कुछ तरंगे जरुरी है ...
So ठहरे पानी में कंकड़ फेंक देती हूँ ।।

कुछ रंग जरूरी है ...
So अपना लहू घोल देती हूँ ।।

थोड़ा पहचान जरूरी है अस्त्तिव का ...
So खुली छत पे आसमान ओढ़ सो लेती हूँ ।।

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23 FEB 2019 AT 11:47

पल्लवित पुष्पों से लदी लताएं,
सुमन आच्छन्न हुए चमन,
हर्ष आह्लादित उमंग लेकर,
आया मधुमास जीवन के रंग लेकर!

प्रफुल्लित बेलें, खिली मंजरी,
शीतल समीर महक बहाये,
रसभीने मिसरी-से बजते चंग लेकर,
आया मधुमास जीवन के रंग लेकर!!

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21 JUN 2020 AT 8:24

✨✍️झुंझलाहट✨✍️ (एक काल्पनिक लघु रचना)



ज़रा देखिए! झुंझलाहट भी क्या डरावना बड़ा कातिल है!
कभी हैं इसके शब्द कटु तो कभी हरकतें कुछ शामिल है! ...✍️✨


जब गुजरी पुरानी यादों से थोड़ी शंका से अभिभूत हो मैं,
न आई नज़र कोई नई मुझे जो खुश होती वशीभूत हो मैं। ...✍️✨

कभी खुशियों को दे के सजा थोड़ा खुद पे ही यूँ मैं झुंझलाई।
तभी देख खुद की तस्वीर शर्म से न चाह के भी शीश झुकाई। ...✍️✨

वक्त है ऐसी लज़ीज़ जो कसमें, रहती हैं न कभी याद मुझे।
लगती हैं चीजें अज़ीज़ तो वश में सुपुर्द है ये फरियाद मुझे। ...✨✍️

कोसों दूर होकर भी ये गम झट से चली क्यों आती है?
सर्प का रूप स्वीकार के बेगम सारी खुशी ले जाती है। ...✨✍️

क्यों झुंझलाना, कष्ट उठाना औरों से क्यों अब सीख लिया?
पश्चाताप की अग्नि ने जला मुझे चाहत की अब भीख दिया। ...✍️✨

पसंद नहीं मुझे झुंझलाहट मैं जरूर इसे अब त्यागूँगी।
पाना है मुझे मंजिल तो अब बाधाओं को गोली दागूँगी। ...✍️✨

चल न सकूँ तो घुटनों के बल मंजिल तक मैं जाऊँगी।
जीत का चख के स्वाद जीभ को तभी खुशी दे पाऊँगी। ...✨✍️

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2 JUN 2019 AT 20:31

वो ताजगी भरा लम्हा
वो पिंजरे का परिन्दा
देखता है उम्मीदों को
रहगुजर दाना उठाता
वो उमंग को खोता नहीं
दर्द को सही संजोता
वो हरेक डाल पर मोहित है
उसे पंख की आजादी याद है
कितने उदास चेहरे को बयाँ करता
दीवारों में रह रुह की बात करता
भरोसा भविष्य के लिए रखता
बंद सलाखें भी कितना एहसास जगा देता
एक दिन पिंजरा वह गिरा देता है "




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9 NOV 2018 AT 11:36

गुमसुम, नाशाद, बे-रंग, बे-स्वाद,
तन्हा-सी इस ज़िन्दगी में

पाँच दिनों की दीवाली का उत्साह,
उत्सव, उमंग, उल्लास हो तुम

- साकेत गर्ग 'सागा'

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