QUOTES ON #उग्र

#उग्र quotes

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12 MAY 2021 AT 21:45

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14 SEP 2017 AT 13:53

मैं यह कहना चाहता था कि आज भी, मैं निस्‍संकोच शूद्र हूँ और ब्राह्मणों के घर में पैदा होने के सबब—साधारण नहीं—असाधारण शूद्र हूँ। ब्राह्मण-ब्राह्मणी से मुझे शूद्र-शूद्राणी अधिक आकर्षक, अपने अंग के, मालूम पड़ते हैं। यहाँ तक कि आज भी जब मैं खानाबदोशों, बंजारों, जिप्सियों का गन्‍दगी, जवानी, जादू और मूर्खता से भरा गिरोह देखता हूँ तब मेरा मन करता है कि ललककर उन्‍हीं में लीन हो जाऊँ, विलीन। उन्‍हीं के साथ आवारा घूमूँ-फिरूँ, किसी हरजाई, आवारा, बंजारन युवती के मादक मोह में— नगर-नगर, शहर-शहर, दर-दर—छुरी, छुरे, मूँगे, कस्‍तूरी मग के नाफ़े, शिलाजीत बेचता।

- पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'

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12 FEB 2019 AT 9:29

इल्ज़ाम पर इल्ज़ाम वाह! इन्साफ दुनिया का,
इक बारगी पूछा तो होता हाल मुनिया का।

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11 SEP 2021 AT 7:19

व्यक्ति एक साधारण प्राणी है इस विशाल जगत का फ़िर भी कई परिस्थितियां उसे उग्र बना देतीं हैं।

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2 OCT 2022 AT 12:11

मात भवानी आप धरयौ रूप कालका को,
बन रणचण्डी विध्वंस करो दुश्मनों का,
आप कालरात्रि आप हो सहारक भयावह,
रूप उग्र रूप धारण कियो सृष्टि से पाप हटाने को,
आप सा कोई और अतिभ्यावह कोई और नही,
माँ करो पाप का समूल नाश हर लो सब पीड़ा माँ,
आप मातृत्व की प्रतिमूर्ति आप करो वध अज्ञान का,
आप का रूप विशाल है ज्ञान और वैभव का,
चित्त का अंधियारा दूर करो, दो वैभव का वरदान माँ,
माँ जब जब चरणों मे आपके शीश झुकाते है,
माँ आपके गोद में आपब आपको सुरक्षित पाते हैं,
दुनिया की सब समस्याओं से लड़ने में अपने आप को सक्षम पाते है..🙏🏼🌺🐦🌺🙏🏼

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ये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के
विदूषक और विश्लेषक
अभी पुलिस बल के
सब्र की कब्र खोद रहे हैं।
ताकि कल उसकी उग्रता के
किस्से चीख-चीख कर परोसें।।
😢बेपेंदी के लौटे😢

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24 NOV 2020 AT 19:32

लड़कियाँ भी उग्र
हो जाती है
ग़र उनके परिवार
के बारे में
अपशब्द बोले जाऐ।

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26 JAN 2021 AT 20:58

वक्त की हर कङी जोड़कर, मेहनत के पसीने से खेत को सीचंकर दो वक्त की रोटी कमाने वाला देश की जनता के लिए फसल उगाने वाला, ह्रदय से संवेदनशील लेकिन देह से कठोर दिखने वाला किसान अपने ही देश के राष्ट्रीय पर्व पर इतना उग्र कैसे हो सकता है ??

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5 JUL 2020 AT 6:24

सुबह की किरण हमे देता है संदेश,
तुम चाहे कितने उग्र हो उग्रता रहता ना हरमेश।
सुबह में सूरज निकलने का सब करता हैं इंतजार ,
जैसे-जैसे उग्र होता है कोई ना करता है उसका सत्कार।।

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इतनी प्रसिद्धि पा कर तुम क्या करोगे,
जब तुम स्वयं तुम न रहोगें।।

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