घर के ऊपर घर बने हैं, एक दूसरे से अनजान हैं lचलो दिखाते है शहर,जिसका बहुत बखान है।। -
घर के ऊपर घर बने हैं, एक दूसरे से अनजान हैं lचलो दिखाते है शहर,जिसका बहुत बखान है।।
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फिर से मुझे भड़काव मत,बुझते चिंगारी को जलाव मत।जगा अगर हैवानियत,तो सब कुछ भस्म कर जाऊंगा ।तुम जहा भी रहो दुनिया मेतुझे खत्म करके ही सुकून पाऊंगा।। -
फिर से मुझे भड़काव मत,बुझते चिंगारी को जलाव मत।जगा अगर हैवानियत,तो सब कुछ भस्म कर जाऊंगा ।तुम जहा भी रहो दुनिया मेतुझे खत्म करके ही सुकून पाऊंगा।।
लगता है अभी जीवन जीना बाकी है। जब एहसास होगा खत्म आँख मेरा होगा उसी दिन बंद। । -
लगता है अभी जीवन जीना बाकी है। जब एहसास होगा खत्म आँख मेरा होगा उसी दिन बंद। ।
वे मुझे इन्सानियत सीखा रहे थे और खुद एक असहाय को सता रहे थे। मैंने देखा उसे भूख से तड़पते हुए वे थे कि उसे भूख से मरने के तरीक़े बता रहे थे। । -
वे मुझे इन्सानियत सीखा रहे थे और खुद एक असहाय को सता रहे थे। मैंने देखा उसे भूख से तड़पते हुए वे थे कि उसे भूख से मरने के तरीक़े बता रहे थे। ।
ख़्वाब से आँखों का रिश्ता सदियों पुराना हैं ।ख्वाबों का काम तो सिर्फ़ आना और जाना हैं ।। -
ख़्वाब से आँखों का रिश्ता सदियों पुराना हैं ।ख्वाबों का काम तो सिर्फ़ आना और जाना हैं ।।
तुमसे बात नहीं करनीफिर कभी मुलाकात नहीं करनी।ग़र मिले किसे मोड़ पर तो, अनजानों जैसे व्यवहार नहीं करनी। । -
तुमसे बात नहीं करनीफिर कभी मुलाकात नहीं करनी।ग़र मिले किसे मोड़ पर तो, अनजानों जैसे व्यवहार नहीं करनी। ।
थोड़ी नादानी भी ज़रूरी है,थोड़ी शैतानी ज़रूरी है,जीवन जीने के लिए थोड़ी परेशानी भी ज़रूरी हैं। । -
थोड़ी नादानी भी ज़रूरी है,थोड़ी शैतानी ज़रूरी है,जीवन जीने के लिए थोड़ी परेशानी भी ज़रूरी हैं। ।
मानव ने फिर से मानवता को शर्मसार किया है,एक बार फिर बुद्ध के बदले युद्ध का वरन किया हैं!! -
मानव ने फिर से मानवता को शर्मसार किया है,एक बार फिर बुद्ध के बदले युद्ध का वरन किया हैं!!
कितनी बार गिरा हूं ,तब जाकर इस पहाड़ों सा खड़ा हूं। । -
कितनी बार गिरा हूं ,तब जाकर इस पहाड़ों सा खड़ा हूं। ।
बदतमीज लोगों को तमिज सिखाना होगा।ग़र फिर भी नहीं सुधरे तो,हमेशा के लिए चुप करना होगा। । -
बदतमीज लोगों को तमिज सिखाना होगा।ग़र फिर भी नहीं सुधरे तो,हमेशा के लिए चुप करना होगा। ।