QUOTES ON #इंसाफ़

#इंसाफ़ quotes

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30 NOV 2018 AT 22:08

सब कुछ साफ़ साफ़ है
हर कोई मेरे ख़िलाफ़ है

जुर्म साबित होने से पहले
सज़ा सुना दो,यही इंसाफ़ है

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1 MAY 2019 AT 21:34

किसी के आँसुओं की नींव पर
ख़ुशियों का घरौंदा बनाना

चालाकी से इस्तेमाल कर,
उसकी मासूमियत से खेलना

गीदड़ की चाल चल,
नादाँ से बने रहना

सच्चाई का मुखौटा पहन,
दरिंदगी से नाता रखना

इतने नीच होकर भी,
सुकूँ की उम्मीद करना

रोकर अपने हालातों पर,
फिर भी ना महसूस होना

वक़्त करता है इंसाफ़,
क्या मुश्किल है इतना समझना ?

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18 JUN 2020 AT 21:38

# 19-06-2020 # काव्य कुसुम # प्रतिशोध #
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अपने आपको इंसाफ़ की तराजू पर तौल कर देखिए,

कटु वचन सुन कर भी मुस्करा कर बोल कर देखिए,

प्रतिशोध की भावना को त्याग कर कड़वाहट शमन करें -

अपने नजरिए को बदल कर ज्ञान-चक्षु खोल कर देखिए।

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2 DEC 2019 AT 17:21

प्रश्न
सरेआम हैवानियत नग्न हुई ,
आज शर्मसार हुई है मानवता।
प्रश्नों के हैं ज्वलंत थपेड़े हमपर,
भाइयो!कहाँ सोया है क्रोध तुम्हारा,
कहाँ गुम गए वचन ,बहन की रक्षा के,
क्या बन लाचार झुकी गर्दन भाई की..?
क्यों बार बार माँ ,बहनें लुटतीं हैं,
दरिंदों की शिकार दुग्धमुही बच्ची
से लेकर वृद्धा तक होती हैं..?
क्यों होता है ये सब...
इस पावन रक्षाबंधन वाले देश में भी....?
पुरुषों !कुछ तो शर्म करो,आँखों में उतार रक्त
अपना पौरुष दिखला दो,
माँ बहनों की लाज धरो।
-रेणु शर्मा


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9 OCT 2019 AT 16:06

कैसे इंसाफ कहते हैं उसको सभी
जो हमेशा खड़ा कटघरे में रहा

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22 JUN 2017 AT 2:19

आजकल कुँवारे मर्दो के लिए जायज़ चलन शुरू हुआ है  Surrogacy नाम का।
माँ का नाम आज भी ज़रूरी नही।

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1 OCT 2020 AT 21:35

क्या सिर्फ़ we want justice कहने se इंसाफ़ मिलेगा,

नहीं मुझे ऐसा nahi लगता

क्या सिर्फ़ candles जलाकर कहीं भी एक jagah हमारे बैठ जाने से इस kanoon ko फ़र्क पढ़ेगा,

नहीं मुझे ऐसा nahi लगता

फ़र्क तो तब पड़ेगा, जो कहती है सरकार वो पूरा हो।

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14 APR 2019 AT 18:36

इंतजार करते करते इंसाफ़ जब मिला
जीत की खुशी का एहसास मर गया

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14 APR 2018 AT 19:09

नामर्दो का हुजूम जमाकर मत बैठो,
अपने अंदर लाश दबाकर मत बैठो।

घर के भीतर हाल है कैसा, बिन जानें,
दहलीजों पर थाल सजाकर मत बैठो।

मना करो इंसाफ़ नहीं कर पाओ तो,
दिल में बस अरमान जगाकर मत बैठो।

जब आग लगेगी सीने में, जल जाएगी,
इस कुर्सी को हथियार बनाकर मत बैठो।

अपनी बेटी भी घर से बाहर निकलती है,
इन बेटों को दामाद बनाकर मत बैठो।

हमनें जग की सदियों से आग बुझायी है,
अब अपने घर मे आग लगाकर मत बैठो।

भूल जाएंगे सब मंज़र और ये अशआर,
पर अब हाथों में हाथ दबाकर मत बैठो।

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19 JUN 2020 AT 17:03

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