QUOTES ON #आबरू

#आबरू quotes

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14 JUL 2020 AT 10:42

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23 NOV 2020 AT 23:57

आबरू

वो ज़िंदा लाश! अपने कटे जिस्म को घर लायी थी
आँखों में सूखे आँसू और लिबास में दाग़ लगा कर आयी थी

वो दाग़- अब जो नासूर जख़्म बनने वाला था
वो दाग़- अब जो हर किसी का सवाल बनने वाला था
वो दाग़ जिस पर चार लोग चार बात बनाने वाले थे
वो दाग़- अब जो उसके वजूद का फैसला करने वाला था

आवाज़ खो कर आयी थी वो
खौफ़नाक मौत का मंज़र देखकर आयी थी वो
क़त्ल हुआ था आज उसमें छिपे हर 'औरत' का
आज जिस्म नहीं, रूह की लाश लेकर आयी थी वो

पर हमने क्या किया?
माँ बनकर उसे कलेजे से लगा तो लिया
पर लोगों के डर से, उसके दाग़ को छिपा लिया
बाप ने जिसे अपनी शान,अपना ग़ुरूर माना हमेशा
आज उसके दर्द को, बदनामी का सबब मान लिया
अरे! हम वो दोस्त, वो रिश्तेदार है जो कल तक उसके साथ थे
आज हम ही दूरी रखेंगे। हम ही राय देंगे। हम ही बात बनाएंगे।
मिलेगी सज़ा गुनहगारों को, वकालत चलती रहेगी अपनी जगह
पर हम वो समाज है, जो अपनी 'बेटी' को चाल-चलन का नया पाठ पढ़ाएंगे
हमदर्दी बेहद होगी हमें, पर बेग़म बनाकर अपनायें कैसे?
'आबरू उसकी आबरू कहाँ', इस सोच को अब छिपाये कैसे?
माना दिल पसीजता बहुत है हमारा, उसके दर्द में
पर महज़ दिखावे के ख़ातिर, उसे घर की इज्ज़त बनाये कैसे?

असल हैवान तो हम है, हममें शर्म कहाँ?
हम वक़्त-बेवक़्त नाप-तोल करते रहे, उसके दर्द का
हम तराजू लिये खड़े रहे, उसे तोलने हर मोड़ पर
और उसकी आबरू, हमारे सवालों में घिरी रही हमेशा। (गीतिका चलाल)

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22 MAY 2020 AT 10:27

✴️ख़ामोश मत रहो बेटियों✴️

नहीं रुकेगी ये दरिंदगी ऐसे, क्यों आँखे झुकाए खड़ी हो
क्या बाकी रह गया अब, हैवानियत की हदें पार होने को

थाम लो हथियार हाथों में, घोंप दो सीने में हैवान के
नोंच डालो गंदी नजरो को, ख़ामोश मत रहो बेटियों

रोज कुचल रही है आबरू, क्यों तुम झिझक रही हो
उठालो खंज़र, इन नामर्दों के टुकड़े हजार करने को

डर को आग लगा दो, फूलन देवी का चेहरा लगालो
गोलियों से भून डालो दुष्टों को, ख़ामोश मत रहो बेटियों

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1 JUL 2019 AT 9:10

एक दिन चाँद को पकड़ने की आरज़ू रखती हूँ
इस ज़ालिम ज़माने से बचाकर आबरू रखती हूँ

पहुच ही जाते हैं मेरे पास सूंघते - सूंघते मुझको
इसीलिए दबाकर अपने जिस्म की खुश़बू रखती हूँ

ज़रा सी बात को गंदी नज़र से देखते हैं ये लोग
कम ही लोगों से आजकल मैं गुफ़्तगू रखती हूँ

ज़िन्दगी में खुश़ी आये ना आये फ़र्क नहीं मुझे
अपने अरमान पूरा करने की जुस्तजू रखती हूँ

औरत हूँ और बहुत से रिश्तों को निभाना है मुझे
सभी रिश्तों में मैं अपने प्यार के घुंघरू रखती हूँ

मुझे पता है मुझमें एक विजेता है हर पल "आरिफ़"
उसको मैं हमेश़ा अपने जैसा ही हू-ब-हू रखती हूँ

ज़िन्दगी मेरी वैसे तो "कोरे काग़ज़" से कम नहीं
लेकिन उसको मैं खुश़ियों से भरा ही यूँ रखती हूँ

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29 MAY 2021 AT 13:52

काम वासना से भरी नज़रें
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2 AUG 2019 AT 1:20

ये भेड़िए वहशी नामर्द हैं

बेहयाई की चादर ओढ़े
इंसानियत से रिश्ता तोड़े

इनके आंखो में भरी है वासना
इरादे है जिस्मों को फासना

ये कातिल हैं इंसानियत के
ये पुजारी हैं हैवानियत के

हवस में है ये इतने अंधे
आबरू रेज़ी के करते हैं धंधे

इनके सिनो में ना कोई दर्द है
ये भेड़िए वहशी नामर्द है

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21 JUN 2019 AT 10:41

पिघल रही है तेरे इश्क़ के मानिंद हया,
आबरू बाकी आरज़ू की आज रहने दो !

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21 MAY 2020 AT 14:14

मेरी हसरतों का उन फरेबी फ़ितरतों से रूबरू होना,
जैसे जिस्म के बाज़ार में तवायफ़ सी आबरू होना।

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25 JAN 2019 AT 22:31

समेट लिया खुद में जिसे आबरू की तरह,
छिपा बैठा है मेरे दिल में वो उर्दू की तरह !

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25 AUG 2017 AT 13:02

वो तो लिबास उतारने के शौक़ीन हैं
आबरू ढांकना अभी कहाँ सीखा हैं !!

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