विचारणीय
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आदि पुरूष को
पहना आधुनिकता का चोला
मात्र करने मनोरंजन
रंगमंच का द्वार है खोला-
हे भोले के बाबा भोलेनाथ अज शाश्वत,
हे दया कृपा के दाता आशुतोष,
हे कण कण अणु नाभिपुष्प महादेव,
हे अमृत के अमरत्व नीलकंठेश्वर,
हे आदिकाल के शून्य आदिपुरुष,
हे सृष्टि के पंचतत्व कैलाशपति,
हे क्लेश तम नाशक भोले भंडारी,
हे वैरागी हे अविनाशी गंगाधर,
हे प्रलयंकर हे कैलाशी महाकाल,
हे शाश्वत जग स्वामी त्रिलोकेश,
हे प्रेम की प्रतिमूर्ति शिवाप्रिय,
हे प्रभु आकर हर लो कृपानिधि,
हे कोटि जन्म संताप गिरिश्वर,
हे दैहिक दैविक ताप हरो सदाशिव,
हे प्रभु हर लो दुर्धर पाप मृत्युंजय,
हे देवो के देव सोमसूर्याग्निलोचन,
ॐ नमः पार्वती पतये हरहर ओंकारेश्वर,
हर हर महादेव, ॐ नमः शिवाय..✍🏼🐦-
काले वस्त्र पहनकर तुम रावण बनना चाहते हो
क्या तुम काले रंग में अपनी काली करतूतें छिपाना चाहते हो
मत भूलो रावण था त्रिपुंडधारी,पराक्रमी और महाज्ञानी
अरे तुम तो शक्ल से ही लगते हो खिलजी की नाजायज निशानी-
आदिपुरुष मुवी देखकर बंदरों ने
भी अपने पूर्वजों के अपमान व
मानहानि का केस करने का मन
बनाया हैं।-
धरती बेची,अम्बर बेचा,बेच दिया ये जहान,
तिलक को बेचा, टोपी बेची, बेच दिया इमान,
खुद को बेचा, खुदा को बेचा, बेच दिया हनुमान,
'इंसा' के लालच ने देखो, बेच दिया भगवान ।।-
सोचा था पुन: राम आएँगे फिर से हिंदुत्व को गौरवान्वित कर जाएँगे । फिर से एक आदिपुरुष दिखाया जाएगा सीता को लंक से बचाया जाएगा फिर से एक महाभक्त की गाथा गूंजेगी फिर से भ्राता प्रेम देखा जाएगा क्या पता था ये तो सिर्फ़ किरदार निभाने आए है हिंदुत्व पर कालिख पोथने आए है क्या रामभक्त ऐसे दिखते थे क्या विभीषण बालों में जेल लगाकर फिरते थे कितनी सुंदर थी हमारी भाषा , भाषा का यहाँ अपमान हुआ , यहाँ सिर्फ़ राम ही नहीं पूरा हिंदुत्व निरादृत सा महसूस हुआ , सिर्फ़ कुछ माया के लिये पूरी रामायण का कैसे परिवर्तन हुआ ।
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आदिपुरुष के प्रति चल रहे विरोध में हम सब अपनी टिप्पणी दे देकर भगवान के प्रति जनता के भाव के सम्मान की रक्षा करने का प्रयत्न कर रहे हैं, ठीक बात है। पर मैं यहीं पर कुछ और भी ऐसे बॉलीवुड में प्रयोग किये गए गाने अथवा भाषाओं के विषय में प्रकाश डालना चाहूंगा।
Radha on the dance floor गाना सबने सुना भी और सब इस पर खूब नाचे भी, मात्र ऐसा गाना सुनना ही क्या आपको अभद्र नहीं लगा, उसका विरोध क्यों नहीं हुआ?
रास लीला को character ढीला कहा गया एक और गाने में उस पर भी किसी को क्रोध नहीं आया, उसका विरोध नहीं हुआ! क्यों?
इसके अलावा जब कहीं 1 लड़का कुछ लड़कियों के साथ खड़ा हो तो लोग आराम से कह देते हैं कि कन्हैया बन रहा है या रासलीला कर रहा है। क्यों?
कभी सोचिये कि आपका श्री कृष्ण के प्रति कैसा भाव है? श्री कृष्ण ने गोवर्धन उठाया, काली नाग के फन पर नृत्य किया, अनेक दुराचरियो से संसार की रक्षा की। और रासलीला तो ऐसी लीला है जिसे सिर्फ कोई शुद्ध भक्त ही समझ सकता है, अब आप सोचिये आप आम भाषा में ऐसे लोगों को श्री कृष्ण कह कर भगवान के प्रति भक्तो के भाव को ठेस नहीं पहुंचाते?
बात सिर्फ इतनी है कि हमें आदत हो गयी भीड़ में चलने कि जो सुन लिया वो सत्य माना और चलते गए भीड़ में, कभी तथ्य जानने का प्रयत्न तो किया ही नहीं।
इसलिए आप अपनी भाषा कैसे चुनते हैं ज़रा सोचियेगा।
जय श्री राम।-