ज़िंदगी ने हमे दो ऊँचाइयाँ क्या देदी
हर किसी के लिए बड़े हुए हम
फिर सोचा फ्री की चर्चाये होती है मेरे नाम की
अब ज़िंदगी में क्यों ना और बढ़ते चले हम-
उसे क्या पता क्या हाल होता है जब उसकी तस्वीर देखता हूँ
उस तस्वीर में अपनी ज़िंदगी देखता हूँ
ओर ख़्याल उसके एक ठंडा झोंका है जब जब डूबता… हूँ उसमे पूरा कायनात देखता हूँ-
आज ज़िंदगी में एक फ़लसफ़ा देखा है
आपका अच्छा चरित्र समाज में एक अभिशाप है और
आपका बुरा चरित्र आपके लिये वरदान है-
आज ज़िंदगी में एक फ़लसफ़ा देखा है
आपका अच्छा चरित्र समाज में एक अभिशाप है और
आपकी बुरा चरित्र आपके लिये वरदान है-
चाहता हूँ तुझसे ए ज़िंदगी इस दामन को छुड़ाना
हम तो बस तेरे बोझ से रुखसत हो चुके है
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एक तरफ़ा प्यार ही दुनिया का एक वो रोज़ा है जिसकी कभी इफ़्तारी नहीं हो सकती आशिक़ उसकी चाह में सब त्याग देता है इस उम्मीद से के वो आएगी ओर सहरी ए सुकून अदा कर जाएगी पर ना तो वो आती है उसकी तड़प हमारी इफ़्तारी बन जाती है आख़िर बस उसकी याद में इश्क़ ए नमाज़ अदा ही की जाती है
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Sochne do mujhko Bs tumhare khyaalo ko …. Doobne do mujhe is samandar si aankho mein ke peena hai mujhe teri Kashish e khumaar ko kyo hum chahte hai khona Bs tumhare swalo mein
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