QUOTES ON #आचार्य

#आचार्य quotes

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19 DEC 2019 AT 15:02

एक बार भयंकर जाड़े की रात लगभग 7 बजे आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी बोले "गंगा स्नान करने चलोगे?"

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22 MAY 2020 AT 14:54

आचार्य खट्टी मीठी लोगों कि एक चट्ट पटटे दुनिया होती हैं ये। नीबू की तो बात ही कुछ और हैं सब आचार्य तीखी कटहल के आचार्य खट्टी आम के आचार्य मुहं मिठास लाते हैं। मीठी मुरब्बे के आचार्य हो रसीले होता
जो मुंह में डालों तो घुल जाते।
अकेले हो तो आचार्य खाओं विचार मत
बनाओं खुशीया बांटो और खुशी बनायों।

धन्यवाद-अपराजिता राॅय 🙂


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21 JUN 2021 AT 20:10

संसार का सबसे श्रेष्ठ और उत्तम रत्न भी
प्रकाश के अनुपस्थिति में नहीं चमक सकता
तथापि
मनुष्य में कला और सामर्थ्य अपार क्यों न हो!
परंतु उस शक्ति को उचित दिशा,
मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने वाले
आचार्य अगर न हो, तो वो शक्ति चमक नहीं सकती|

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2 MAY 2020 AT 11:05

आचार्य श्री महाश्रमण जी
के 59 वें जन्मदिवस पर शुभकामनायें..

ऋण उनका मैं कभी चूका नहीं सकता..
जो दिया है उन्होंने वो मैं शब्दों मैं बता नहीं सकता..
खुदा से बस एक ही इल्तेज़ा हैं के सलामत वो रहे..
के गुरु बिन जीवन मेरा कोई और गुलशन सा बना नहीं सकता..
🙏गुरु चरणों में नमन🙏

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24 JUL 2021 AT 10:35

गुरु वो है जो तुम्हें नया जन्म दे;
गुरु वो है जो तुम्हें अजन्मा कर दे;
गुरु वो है जो तुम्हें तुमसे मिलाएं;
गुरु वो है जो तुम्हें हजारों वर्षों की, निंद्रा से जगाए!!

गुरु शिक्षक बन गए, शिक्षा व्यापार बन गया!

गुरु का अस्तित्व मिटा, इसलिए संसार से बुद्धत्व मिटा!

हे आदि गुरु महादेव! इस संसार का संतुलन कर दो!
मनुष्य में ज्ञान फूंक, गुरु का स्वाभिमान भर दो!
बिन गुरु यह संसार अधूरा, बिन गुरु हर कार्य अधूरा!
बिन गुरु है धर्म खोखला, बिन गुरु है कर्म खोखला!

हे आदि गुरु महादेव!!
फिर से गुरु प्रणाली स्थापित करें!
फिर से गुरु प्रणाली स्थापित करें!!

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18 APR 2020 AT 22:58

मन तो पचास जगह रिश्ते बनाता है।
वो सब रिश्ते मन के खेल है,

मन का नशा है, काल के संयोग है।
रिश्ते बहुत विवेक से बनाये
संगति से बड़ी बात कोई नही।

रिश्ते का प्रभाव क्या हो रहा है तुम पर?
उठ रहे हो या गिर रहे हो ?
आंखे खुल रही है या नशा गहरा हो रहा?

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21 OCT 2020 AT 5:24

महासागर हो आप ज्ञान के क्या मै भी बूंद बनने लायक हू ?
अमृत का गाभा हो आप तो क्या मै नन्हा कतरा बन सकती हू
आगम के गणधर स्वयम आप हो क्या मै उसकी नन्हा अक्षर बन सकती हू
आप तो कर्म निर्जरा के धनी हो गए क्या मेरा कर्म मै थोड़ा निबटा सकती हूं
मोक्षपथ के आप मुसाफिर उस राह की धूल बनने क्या मै लायक हू
परीशय सहते निषदिन हसकर आप तो क्या मुजमे भी ऊर्जा ओ आ सकती है
रूखी सूखी का सम्मान कराते क्या मै भी ऐसा कर सकती हू
अंतर्मन के भावों को निमिष मेे संजोते हो क्या मेरा भी कल्याण करोगे ?
खाली झोली मे मेरी भी क्या आत्म सुख की राशि भर दोगे
हा क्षुद्र अति क्षुद्र जीव मै क्या मुझमें भी आत्म ज्योति खिल सकती हैं
अनंत काल से भटक रही हू शायद चिर विश्राम करना है प्रभो
कुछ भी कर दो नशा चढ़ा दो लत लगादो स्व कल्याण की वीभो
मै रोगी हू रामबाण औषधि के वैद्य कारण बन जाओ
मुझसे मेरा परिचय कराने मेरे मन मंदिर में भी आओ
भाव विभोर आंसू झलकते हैं क्या वह मोती बन सकते हैं
सिद्धतत्व की माला मेे आे क्या नन्हा हिस्सा बन सकता है
पाप किए है अबतक अनादि क्या अब में पुण्य के लायक हू
उत्तर देदो मेरे प्रश्न के मुझमे थोड़ी शांति भर दो🙏
21.10.2020✍️सौ. कल्पना रमेश हलगे वानरे



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6 MAY 2020 AT 10:32

गुरु की करुणा से मिलता संयम सुखमय
गुरु के चरणों में रहता साधक निर्भय







गुरु की सन्नीधी में दुविधा मिटती सारी
गुरु का पथ दर्शन पग पग मंगलकारी

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आचार्य
वो अंधेरों में चलने का मशाल होता है
जिसका उपदेश बहुत ही कमाल होता है
जिसमे भरा समूचे उन्नति का सार होता है
ज्ञान से बदले जिंदगी वहीं आचार्य होता है

परछाई बन के विद्यार्थी का साथ निभाता है
वो कांटे भरे रास्ते पर चलना सिखाता है
अनुशासन ही रीति सत्य उसका धर्म होता है
बाहर से कठोर अंदर उंतना ही नर्म होता है
जिंदगी सवारने का जिसपर भार होता है
ज्ञान से बदले जिंदगी वहीं आचार्य होता है

स्वार्थ है उसका बस अपने सम्मान का
उदारता से भरा पक्का अपने ईमान का
आज्ञा पालन ही जिसका सम्मान होता है
खुदा से भी ऊपर गुरु का स्थान होता है
जीवन ज्योति प्रज्वलित करने का आधार होता है
ज्ञान से बदले जिंदगी वहीं आचार्य होता है

हमारे द्वारा रचित कुछ पंक्तियां श्रद्धेय गुरुजनों को समर्पित...

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25 JAN 2019 AT 20:52

त्वरित संपादन हर कार्य
कैसे कर लेते स्वीकार्य
चिड़िया बैठी डाल पर
चोंच चोंच से हर कार्य

आंधी हो या मंद बयार
चिड़िया डाल युग्म सौकार्य
चिड़िया मुंडेर की गुड़िया
चोंच चोंच में स्वीकार्य

त्वरित संपादन एक छाजन
आत्मीय आलोड़न प्राकार्य
लगन, धैर्य चिड़िया अनुगुंज
हौले - हौले मन हो आचार्य।

धीरेन्द्र सिंह

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