शब्दों से यूँ उलझाओ मत, जो कहो दो टुक कहो ...
और याद रहे ये सदा के आत्मसम्मान से परे कुछ ना सहो...
ये तों ख़ैर दस्तूर हैं इस ज़माने का हर मोड़ पर हमें आज़माने का...
तों छोड़ सब चिंता अपनी रवानी अपनी कहानी और अपनी मौज़ में रहो...
-
Instagram id - @deepakranka87
अभी तो बोये है अल्फाज़ो के कुछ बीज़ " शाश्व... read more
बदलते दौर में जहाँ दौलत ही इज़्ज़त का पैमाना हैँ.....
रिश्ते भी बदलते दौलत के हिसाब से अपना ठिकाना हैँ....
खो गया हैँ अपनापन ना जाने कँहा पुराने ज़माने की तरह....
अब तो जेब में जिसके जितना धन उसको सबने उतना अपना माना हैँ....-
मर कर भी औरों के दिलों में जिंदा रहने का हुनर आता हैँ मुझे ....
कुछ इसलिए भी ये शेरों शायरी का अंदाज़ भाता हैँ मुझे...-
दौर ए ग़ुरबत में मेरे अपनों ने मुझे अनसुना कर दिया....
देख कर मेरे बुरे वक़्त को अपनों ने मुझे अनजाना कर दिया....
ख़ैर वक़्त वक़्त की बात हैँ ये तो, फ़िक्र ना कर ‘शाश्वत ’...
शोहरत ए वक़्त ने मेरे, गैरों को भी जाना पहचाना कर दिया....-
रात से यारी रखते हैँ....
ईमान में खुद्दारी रखते हैँ....
वक़्त कैसा भी हो भले....
हरदम जीत की तैयारी रखते हैँ....-
मेरी कहानी के सभी किरदार फेक हैँ....
अदाकार वो इतने के लगते बड़े नेक हैँ....
शिकवा भी करुँ तो भला क्या उनसे मैं....
मंज़िल पर हूँ खड़ा और वो सभी बैक हैँ...-
अच्छे से वाक़िफ़ हूँ किसी के तन्हा छोड़ जाने के दर्द से....
इतना खुदगर्ज़ भी नहीं के वो दर्द मैं किसी और को दूँ....-
ये लाज़मी हैँ के वो ऐतबार ना करें....
जख़्म गहरे हैँ उसके शायद प्यार ना करें....
ख़ैर ख़ैरियत से रहे वो सदा जँहा भी रहे....
दुआँ हैँ के वो मेरी तरह किसी का इंतजार ना करें....-
हक़ दिया हैँ तुमने, पर हक़ तुम पर कभी जताऊंगा नहीं....
और वादा करता हूँ मैं तुमसे के तुम्हें कभी सताऊंगा नहीं...-