पुकारा नहीं थासंभल खिल गया।धीरेन्द्र सिंह -
पुकारा नहीं थासंभल खिल गया।धीरेन्द्र सिंह
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दिल में इश्क़ भरा हैतो बांटो इसे छलकाओभर-भरकर क्या हासिलप्रेम अगन तो जलाओ।धीरेन्द्र सिंह -
दिल में इश्क़ भरा हैतो बांटो इसे छलकाओभर-भरकर क्या हासिलप्रेम अगन तो जलाओ।धीरेन्द्र सिंह
एक दौर ऐसा भी थाएक कौर तरसा भी थामानवता के रूप कई हैएक तौर डरता भी था।धीरेन्द्र सिंह -
एक दौर ऐसा भी थाएक कौर तरसा भी थामानवता के रूप कई हैएक तौर डरता भी था।धीरेन्द्र सिंह
पुनर्जन्मआत्मानहींखात्मा।धीरेन्द्र सिंह -
पुनर्जन्मआत्मानहींखात्मा।धीरेन्द्र सिंह
परछाई का पीछा करतेभरपाई किस कर्म का करतेव्यक्तित्वहीन होती परछाईतनहाई किस धर्म का रचते।धीरेन्द्र सिंह -
परछाई का पीछा करतेभरपाई किस कर्म का करतेव्यक्तित्वहीन होती परछाईतनहाई किस धर्म का रचते।धीरेन्द्र सिंह
इश्क़ का गुलाबचाह का शवाबहसरतों की खुश्बूरोम-रोम आफताब।धीरेन्द्र सिंह -
इश्क़ का गुलाबचाह का शवाबहसरतों की खुश्बूरोम-रोम आफताब।धीरेन्द्र सिंह
मेरी पुरानी कविताअनुभूतियों की भव्यतापढ़नेवाले झूम उठे सबरचना की यही सभ्यता।धीरेन्द्र सिंह -
मेरी पुरानी कविताअनुभूतियों की भव्यतापढ़नेवाले झूम उठे सबरचना की यही सभ्यता।धीरेन्द्र सिंह
दामन खाली है मेरापर चारों ओर है घेराएक कसक दरियाफ्त करेकभी नसीब भी दे सवेरा।धीरेन्द्र सिंह -
दामन खाली है मेरापर चारों ओर है घेराएक कसक दरियाफ्त करेकभी नसीब भी दे सवेरा।धीरेन्द्र सिंह
जब शाम हुईतब धाम छुईएक अभिलाषा वहीदीप जलती रुई।धीरेन्द्र सिंह -
जब शाम हुईतब धाम छुईएक अभिलाषा वहीदीप जलती रुई।धीरेन्द्र सिंह
दिल की धड़कन भीखुशियां भी तड़पन भीएहसास सांस विश्वास पासऋतुयों की बनठन भी।धीरेन्द्र सिंह -
दिल की धड़कन भीखुशियां भी तड़पन भीएहसास सांस विश्वास पासऋतुयों की बनठन भी।धीरेन्द्र सिंह