कुछ लोग इस जग में न जाने कैसे अपनी माँ से ऊब जाते हैं
हम तो आम का आचार देखते ही माँ की याद में डूब जाते हैं।-
# आचार और अचार #
आपका आचार ऐसा होना चाहिए कि दुश्मन भी अनुसरण को मजबूर हो जाए।
मुझे आम का अचार बहुत पसंद है।
गलत संगत से आचार का अचार बनते देर नहीं लगती।-
वक्त ने कभी शिकार तो
कभी लाचार बना दिया
अच्छी खासी ज़िदंगी को आचार बना दिया ।।
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शक्ल👨🏻👩🏻 देखकर👀बात 🗣करने वालो🤦🏻
थोड़ा अक्ल 🧠भी लगा लिया करो
इतना 😲गुमान है अपने हुस्न👸🏻🤴🏻 पर
तो उसका आचार ड़ाल
रोज रोटी 🍪के साथ खा🥄 लिया करो||
🙈🙉🙊
#Meri kalam-
समय है चुनाव का,
कई नाम सुनाई देता है,
कहीं राम सुनाई देता है,
मजहब के नाम पर कहीं,
धड़ाम सुनाई देता है।
कोई इसको बदनाम किया
हुआ अपने बदनाम कभी
फिर मिले पार्टी किया
भूल चूक अब माफ सभी
कभी नेता, अभिनेता
कहीं श्याम सुनाई देता है
इंसानियत के नाम पर कहीं
भ्रष्ट काम सुनाई देता है।
भ्रष्ट अपना आचार किया
दुसरों को नसीहत देता है
कभी ये न किया कभी वो न किया
कुछ भी नहीं करनें देता है
कभी धर्म कभी जाति
कहीं बाट काम सुनाई देता है
बेरोजगारी के नाम पर
भ्रष्टाचार सुनाई देता है।।-
कोरीव माझ्या अक्षरभोवती
नजर साऱ्यांची मी खिळवून ठेवीन..
भावसाद तो उमळता अलगद
मनाचा ठाव सहज शब्दात मी मांडून ठेवीन...!
उच्चतम विचारांना खुणावताना
मनाची भाषा मी लिहून ठेवीन..
सरला प्रहर आता जरी आजचा
हल्वार विचारांचा ठसा मी उमटवून ठेवीन...!
बहाल जरी प्रितीच्या नावे शब्दार्थ माझा
वाचताना तो मनाला शृंगारित सजवून ठेवीन..
शब्दांना चढलेला रंग अन् त्याचा अवाधी गंध
साऱ्यांच्याच आचार श्वासात मिसळून ठेवीन...!
नयन झाकण्यांचीही नवी उसंत हळवी नको आता
आचारा विचारांची देवाणघेवाण अशीच रंगवून ठेवीन..
माझ्या विचारांची साक्ष साऱ्या अविरत विश्र्वामंती
विचारांच्या घट्ट मिठीत स्वतःस बिलगवून ठेवीन...!-
स्व-ध्वनि की प्रतिध्वनि ,है मानव-व्यवहार ,
आती कूप से वो ध्वनि ,हम जो करते संचार।।
जैसे हो तुम आप ही , वैसा बने संसार ,
फूल व्यक्तित्व का महकता,है जो स्वाकार।।
सुधा सक्सेना(प़ाक रूह)
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एखाद्या व्यक्तीशी आपल्या आवडीनिवडी ..आणि एकमेकांचे
स्वभाव...छंद जुळले ना की मग त्या व्यक्तीशी संवाद आपसूकच छान भावबंधात रेशमी होऊन त्या व्यक्तीशी एक अनामिक नाते गुंफले जाते...जन्मोजन्मी ठिकण्यासाठी..-
नैन जो कभी तेरे चेहरे से ना हटे, वो फलक की ओर कैसे मूड़ेगे।
जब तू ही नहीं रही, तो तेरी वफा की दास्तान का क्या हम आचार डालेंगे।-