मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है
पलकों की उठा-पटक घनघोर कर रही है
सो गया है बीच में जहां ये सारा का सारा
नशीली आँखें कुछ ऐसा ज़ोर कर रही हैं
क्या मजाल झपक लूँ एक पलक तनिक
शून्य सा सुन्न मुझे वो पुरज़ोर कर रही है
गहराइयों में डूबने को आतुर तो हूँ मग़र
आँखें उसके चंद्रबिंदु पर ग़ौर कर रही हैं
बारिश बह रही है और हवा बरस रही है
मदहोशी असर उसकी हरओर कर रही है
भूलभुलैया भी है और है नयनाभिराम वो
आँखों आँखों में रात को भोर कर रही है
'बवाल' हो तो हो, अब किसे फ़िकर यहाँ
मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है-
तुम्हें पाते ही
ख़ुद को खो बैठता हूँ।
पर नज़रें मिलते ही,
'हम' मिल जाते हैं।-
सारे कसमे वादे सब झूठे थे
सच तो इतना ही था कि तू
आंखों का ख्वाब था और
ख्वाब बन कर रह गया...... ❣️-
आंखों की बातें , दिल ही जाने |
जिस्म तो लगा रहता हैं हर वक़्त , रूह को मनाने |-
जो तुम आये थे प्यार की सौगात ले कर,
जाते वक़्त जरा भी ख़याल ना आया उन बातो का??-
वह चलती है तो उसे पता होता है कि पीछे कौन ,कैसी नज़रों से देख रहा है..! क्योंकी
जवान लड़की की एड़ी में भी आँखें होती हैं ,-
मेरे दिल में हो तुम
तो क्या हुआ अगर हो नहीं
मेरे हाथों के लकीरों में तुम ...-
अब तुम्हें और क्या सुनाऊँ अपना दर्द-ए-गम
क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता मेरी आँख-ए-नम
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क्या ढूंढ रहे हो मेरी इन आंखों में खुद को या
उसे जिसे एक अरसा पहले छोड़ कर जा चुके हो.....💔-