QUOTES ON #अरमान

#अरमान quotes

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31 AUG 2018 AT 7:45

अरमानों को तो दिल ने कब के कुचल दिए
बस ख़्वाब आंखों से रिहा होने को मचलता रहा

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18 JUL 2018 AT 16:05

सिमटते देखा है तमन्नाओं को तहजीब के दायरे में अक्सर,
वरना इश्क, अरमान और ख्वाहिशें कब बेज़ुबां होती है....

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19 DEC 2018 AT 3:30

सपनो की उड़ान

कल का सपना आज बुनेंगे,
किस्मत पर न भरोसा करेंगे
मंजिल अपनी आसान नहीं हैं,
इसलिए हम भी शिक्षित बनेगे।

नन्हे कदमों में है इतना दम,
न थकेंगे कभी न रुकेंगे हम
इरादे है नए कुछ तो करेंगे,
इसलिए हम भी शिक्षित बनेगे।

चमकता सूरज जब भी मुस्काया,
देख जगत में सवेरा लाया
एक-एक कदम चल हौसला बुनेंगे,
इसलिए हम भी शिक्षित बनेगे।

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1 FEB 2021 AT 20:49

कभी अरमान लिखता हूँ कभी पैगाम लिखता हूँ !!
मै अपने दिल की धड़कन को तुम्हारे नाम लिखता हूँ !!

जहाँ भी हो मिरी हमदम वहाँ से लौट आओ तुम !
तुम्हारे ही ख़यालों को सुबह-औ-शाम लिखता हूँ !!

न जाओ छोड़कर मुझको तुम्हारी याद आयेगी !
तुम्हारी याद में खुद पर नये इल्ज़ाम लिखता हूँ !!

कलम की नोंक के नीचे तिरा जो नाम आ जाये !
मुझे तुम माफ कर देना यही अंजाम लिखता हूँ !!

नज़र भर देख लूं तुमको नशे में डूब जाऊंगा !
यही मैं सोचकर तुमको नशीला जाम लिखता हूँ !!

नही कृष्णा खबर कोई तिरे बदनाम होने की !
करे बदनाम जो तुमको उसे बदनाम लिखता हूँ !!

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15 MAY 2018 AT 9:31

हमने अपने अरमानों को पल पल मचलते देखा है
हम सफर नही तुम मेरे मंजिल मै तुमको देखा है

न अपने हो न पराए कभी कभी याद बहुत आए
तेरी यादो में इस दिल को पल पल जलते देखा हैै

न गुजरेगी मेरी राह कोई कभी तेरी रहगुजर से
फिर भी इन कदमों को तेरे दर तक बढ़ते देखा है

कभी न खत्म होगा तेरा इंतजार ये मेरा
फिर भी इन आँखों को तेरा रस्ते तकते देखा हैं

हमने अपने अरमानों को .......






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6 JUL 2019 AT 11:41

तुम्हारे जाने के बाद
ज़िंदगी वहीं रुकी हुई है
हमने पलकों तले जाने कितने
एहसास छुपा रक्खे हैं

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25 OCT 2018 AT 8:50

ख्वाहिशों की बारिशों का
कोई मौसम कहां होता है?
वो तो बेधूंदसी बरसती हैं,
बिना रूके, बढ़ती उम्र की तरह।

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माफ करना मुझे पर अब मुलाक़ाते कम होगी यारों मैंने किसी और राह कदम बढ़ा दिये हैं
अब अंदाज मशीनों से जुझेगा अपनो की जिद की चौखट पे अपने अरमान बलि चढा़ दिये हैं
☺👋☺

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6 JUL 2020 AT 20:03

तेरे शब्दों की बारिश में मैं रोज़ भीगती हूं
सच है पिया तेरे शब्दों में खुद को ढूंढती हूं
एक अविचल नदी सी शांत हूं मैं खुद में
पर तेरे शब्दों में मैं रोज़ डूबती चढ़ती हूं
यूं तो शांत हवा सी मदमस्त शीतल मैं
पर तुझमें खोकर रोज़ आंधी बनती हूं
तूने मुझे जो अपना लिया है सजना
इतना प्यार दिया कि क्या है कहना
तेरी आंखों के आइने में रोज़ संवरती हूं
मेरी आंखों के काजल से लड़ती हूं
कहीं पिया को आंखों से बहा न दे
इसलिए अब बिन कजरे ही रहती हूं
मेरी कहानी का तू खास किरदार हो गया
जाने कब कैसे कहां तुझसे प्यार हो गया
अपने सपनों की दहलीज पर तुझसे रोज़ मिलती हूं
हकीकत के दायरों में बंधी थोड़ी थोड़ी रोज़ ही खिलती हूं
मेरे नखरों को तू भी अब उठाने लगा है
मेरे संग जाग के रात बिताने लगा है

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27 DEC 2020 AT 14:08

ख़्वाहिश-ओ-अरमान जला दिए सारे
अब उनकी ख़ाक खंगालुंगा मैं
वजूद ख़ुद का बिखर सा गया है
तुम्हें कैसे संभालुंगा मैं!

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