मैं तेरे आने वाले कल का बिम्ब हूँ,
तू जितना दूर भागेगा,
कबतलक तू झुठलाता रहेगा,
मैं तेरी हकीकत की अटल परछाई हूँ,
तू मुझ से कब तलक मुँह फेरेगा,
मैं तेरे आने वाले कल का अक्षय बिम्ब हूँ,
तू जो ना बदल पायेगा मैं वो तेरे भविष्य की तकदीर हूँ,
तू भाग जितना दूर भागेगा, मेरे उतने बड़े रूप को देखेगा,
माना आज तेरी रौनके कुछ है परवान चढ़ी,
तू मुझ से कब तलक मुँह फेरेगा,
मगर कल की हकीकत से है जुड़ी,
तू गर साफ देखेगा दिल का आयना,
सवर सुधर जायेगा तेरा भविष्य,
तू आ मुझ को आज गले लगा, कर ले जमीर की सेवा,
कल नहीं हर जर्रा जर्रा तेरा होगा ये तय हैं, बस अपने को पहचान ले,
मैं तेरे आने वाले कल का सुंदर सत्य बिम्ब हूँ,
तू जितना दूर भागेगा, भाग कर भी ना भाग पायेगा.. ना अभिमान कर..✍🏼🐦
(अनुशीर्षक)-
आ तो गए हैं पथ पर, मंज़िल का पता नहीं!
ले तो लिया है संकल्प, पूरा अभी हुआ नहीं!!
दिखता नहीं अब दूर दूर तक कोई सहारा,
फिर भी ये अभिमान अभी तक घटा नहीं!!!-
पस-ए-पर्दा जवाबी ,जुल्मत समझते है लोग
ख़ैर ; नाज़ है हमें कि हम पर्दे वाले है।।-
"अपनी जगह पर" लगती सही, तुझे विज्ञान है ना,
इंसानियत की जहां कद्र नही ,तू वही इंसान है ना।
यहां जज ,गवाह ,वकील ,सब तुम्हारे ही प्यादे हैं,
उसी नाकामयाब कानून का, तू पहचान है ना।
दर्द और मर्ज दोनों तुम्हारे ही हैं ,इस पूरे शहर में,
नींव जिसकी भ्रष्टाचार है , तू वही मकान है ना।
हौसलों के पंख कुचलकर, उड़ा दिया उस पंछी को,
फिर भी मिली नाकामी जिसे, वही अभिमान है ना।
उजाड़ रखे है तुमने सारे , प्राकृतिक सुंदरता को ,
भुगत रही है दुनिया जिसे ,तू वही अंजाम है ना।-
काया का अभिमान, माया का अहंकार
सब यही रह जायेगा
मिथ्या है ये जीवन, मिथ्या है सारा संसार
सांसों के हैं ताने बाने
तन तो इक दिन जल जाएगा-
कुछ की ख्वाहिश हैं कुछ के अरमान हैं,
जिनके पूरे हो गए अब उनको अभिमान है।।-
अभिमान करूँ स्वयं पर
या करूँ उस पर
उसका रूप
मेरे प्रेम से
अधिक प्रिय है मुझे
सूरज की चमक हूँ मैं
तो चाँद की चाँदनी है वो
क्रोध की गर्मी हूँ मैं
शांति की ठंड है वो
दर्द का भण्डार हूँ मैं
तो गीत की ध्वनि है वो
उसकी छुअन भर से
मेरा रोम-रोम
प्रज्वलित हो उठता है
अभिमान करूँ स्वयं पर
या करूँ उस पर
उसका प्रेम
मेरे प्रेम से
अधिक प्रिय है मुझे-
ये जो झुलसा जिस्म है देखकर नफरत ना कीजिए साहब,
ये जिस्म किसी की आग ना बुझाने में जल गया।।-
क्यूँ ?
अभिमान करते हो,
इतना इस दौलत पर साहब_
जब इससे आप!!.....
न तो किसी की जिंदगी खरीद सकते हैं,
और न ही मौत!!!....
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समस्या ऐसी है जिस समस्या का कोई समाधान नही है
उसे इस बात का अभिमान है कि उसे अभिमान नही है-