Furkan Ansari   (Ansari)
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Joined 29 November 2019


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28 SEP 2023 AT 10:54

Ansari

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21 AUG 2023 AT 23:02

शफ़क़ रंग की जुंबिश उसके गालों
पर ना जाने क्यों आ गई।
मैंने तो बस इतना कहा था चांद दिन
में कैसे निकल आया।

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20 AUG 2023 AT 21:45

मैं कहाँ कहाँ भटकूँ इश्क़ की रुसवाइयाँ लेकर
आख़िर आसूँ निकल ही गए बदनामियाँ देख कर

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20 AUG 2023 AT 15:59

बहुत शिकवे हैं मोहब्बत से पता नही कैसे लोगों को मिलती है,
मुझे तो आज तक मोहब्बत के होने का यक़ीन ही नही हुआ।

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19 AUG 2023 AT 12:42

वक्त रुकता नही हसरत-ए-गुफ्तार-ए-दिल पुरी होती नही
सुनो, गले भी नही लगाए और जाने की बात करते हो।

وقت رکتا نہیں ، حسرت گفتار دل پوری ہوتی نہیں،
سنو ، گلے بھی نہیں لگائے اور جانے کی بات کرتے ہو

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17 AUG 2023 AT 22:08

अभी इंतज़ार करना पड़ेगा झुमके के लिए मेरी जान
अभी जमशेदपुर ------------- से बरेली बहुत दूर है!

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16 AUG 2023 AT 22:41

ऐ सुखनवर कोई तो ऐसा लफ़्ज़-ए-ऐन तलाश कर
की ये सवाल जदह चश्म इसके लाज़वाब हो जाएं।
اے سخنور کوئی۔ تو ایسا لفظ۔ عین تلاش کر
کی یہ سوال زدہ چشم اسکے لاجواب ہو جائیں!

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15 AUG 2023 AT 12:10

आजादी का अमृत महोत्सव
देश की मौजूदा सूरत ए हाल
और फिर मेरी ये नज़्म
कैप्शन में पढ़ें और सोचें।

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1 APR 2023 AT 22:40

जिधर देखता हूं उधर बस छाई है अब ख़ामोशी
कहीं आँख है नम तो कहीं ज़ुबाँ पर है ख़ामोशी
ना जाने कैसी ये नफ़रत की हवा चली है वतन में
त्योहारों पर रहती है वहशत और लोगों में खामोशी

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1 APR 2023 AT 0:05

किसने छेड़ा है ये तराना ए इश्क़ इतनी रात को
कमबख्त चैन से सोने तो दे, सेहरी में उठना है।
کسنے چھیڑا ہے یہ ترانہ عشق--------- اتنی رات کو
کمبخت چین سے سونے تو دے صحری میں اٹھنا ہے

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