मैं नहीं हूं धरा सी सहनशील,
न ही मेरा विशाल हृदय है,
मैं एक अबोध बालिका हूँ,
जिसका कच्चा सा मन है।।
है नहीं प्रेम का ज्ञान मुझे,
न ही मैं परिचित हूँ एक रूप के अनेक रंगों से,
नहीं है संघर्षो का भय मुझे,
न ही जीवन जीतने का हठ है,
मैं कोमल सी कली हूँ,
जिसे जीवन जीने की आस है।।
भटकी नहीं हूं अंधेरों में मैं,
न ही पिंजरों ने मुझे घेरा है,
पर है नहीं कोई उड़ान मेरी,
बिना पंखों की आजाद चिड़िया हूँ मैं।।
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