प्रतिदिन प्रतिक्षण अनगढ़े
छलावे से छला जाता हूं
मेरा पहला विरोध खुद से हैं।-
विकास सिंह पटेल'शब्द'
(विकास सिंह पटेल 'शब्द')
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आगंतुक को नमस्कार🙏🙏
Joined 29 February 2020
11 DEC 2024 AT 15:34
6 SEP 2024 AT 10:35
आप एकांकी न हो
इसलिए प्रेम चुनते हैं
प्रायः प्रेम आपको
एकांकी बना देता है..?
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31 JUL 2024 AT 10:05
जब मन बोलता है
तब आंखे सुनती हैं,
चुप बैठा शख्स
अक्सर खामोश नहीं होता-
19 JUL 2024 AT 11:40
मुझे प्रतिदिन
एक न्यायोचित विषय की
आवश्यकता होती हैं,
जिसके बारे में मैं लिख सकूं
एक "कविता"
गढ़ सकूं कुछ क्षदम रूप
संवेदना की पराकाष्ठा मे पहुंच
झकझोर सकूं
आम जनमानस को,,
नरमुंडों की भीड़ ढूंढती "स्तंभ"
ताकि बांधकर खुद को
चल सके जी हुजूरी में,
व्यस्थित करने के नाम पर
डकार मारती व्यवस्था,
चरवाहा जानता हैं
चारे की जरूरत नहीं इनको।।
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27 JUN 2024 AT 17:48
और धीरे धीरे बढ़ चलते हैं
इंसान के कदम
उस दिशा की ओर,
जहां से वो
किसी दिशा की ओर
नहीं जाना चाहता।-
11 MAR 2024 AT 13:10
चलने का बोध होना
अच्छी बात है,
रोड आपकी है
ये ख्याल गलत है।-