sunshine   (लय)
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Joined 24 January 2022


Joined 24 January 2022
6 HOURS AGO

इसी वहम में आज़माई नहीं दुनिया
के कोई नहीं अपना कोई नहीं आशनां

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6 HOURS AGO

कोई खलवतों से कह दे ज़रा
मेरी आरज़ू है खुला आसमां
ये तंगना-ए-दहर अब मुझे नागवार है
कि तअस्सुर-ए-क़ैद से, रूह मेरी बेताब है

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7 HOURS AGO

एक ख्याल के मानिंद हो तुम
कांटों से निष्ठुर
फूल से कोमल
कभी ख़ाली सी ख़ामोशी
कभी शब्दों का शोर

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10 HOURS AGO

तसव्वुर ओढ़ लेते हैं तब
कोई ख्वाहिश नहीं के वो ख़्वाब आए
उसकी आहट हो आती है जब तब
वो जो पुरानी बातों सा फरामोश, अधूरा
आज भी दिल के कोने कुरेदता रहता है मुझमें
मुझको भूलने की ख़स्लत है जिसे
वो जिसे मैने कब का भुला डाला वही
कभी कभी झांकने वाला ख्याल रोज आने को होता है
मैं कोई और जज्ब बांध लेती हूं तब
एक टोटके सा ,
कोई भागने का बहाना नहीं मिलता जब
तो सोच लेती हूं बेख्याल होकर
क्या करूं दिल की हालत से मजबूर हूं
कभी कभी नींद जो नहीं आती
उसकी गिरफ्त सी हो गई है

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10 HOURS AGO

तेरे ख़्वाब किसी हक़ीक़त से कमतर नहीं
आज भी जीते हैं लोग यूँ ही ला-हासिल सी ज़िंदगी
कोई पशेमानी, कोई बख़्तर तेरे सर पर नहीं
क्यूँ कर बुझाए फिरते हो उम्मीद के चिराग़ यूँ ही
आरज़ू से पा-माइल कोई सिकंदर नहीं
जी भर के जी ही लेना चाहिए, ख़ुशफ़हमी में भी कभी कभी
क्या हुआ जो कहने को हम उनके मुक़ाबिल नहीं
हर कोई तो यहाँ बा-कमाल सुखनवर नहीं

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12 HOURS AGO

वक्त काट कर थक चुके परिंदे
ढूंढते शाख़-ए-बे-बर्ग पर, घरौंदे के निशाँ
कहाँ गईं वो पहले सी चहचहाहटें
ख़ामोशियाँ हैं आज, कल ज़िंदगी थी जहाँ
अपने ही परवाज़ से आज़ुर्दा जिस्म-ओ-जाँ
तलाश-ए-सुकून में भटकते हैं शाख़-शाख़, जहाँ-जहाँ

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17 JUL AT 13:24

हर ख्याल मेरा तुझसे शुरू है
इतना सोचते हैं जिसे हम
वही हम से फरामोश क्यूं है

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17 JUL AT 13:19

बस इस्तेमाल कर रहे हैं हम हर किसी को
रोने के लिए किसी को, हंसने के लिए किसी को
किसी का साथ अच्छा लगता है
किसी की बात अच्छी लगती है
दिल हिसाब मांगे तो बात तक़दीर पे छोड़ दो
हर सवाल टाल दो कल परसों से जोड़ दो
खुद का सामना करने की हिम्मत नहीं खुदमें
जाने किस किस का भरम तोड़ रहे हैं

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16 JUL AT 19:31

फिर वही पन्नों पे ख़्याल तेरा
लिखने वाले ही थे हम
फिर ये सोचा के तुझसे मिलना यूं
रवायत तो नहीं
तुझे सोचना हो सकता है
के जरूरी हो
तुझे कहना भी होगा
ऐसी हिदायत तो नहीं
फिर गुमनाम कर दूं तुझे भूल कर
तू ऐसी पुरानी
शिकायत तो नहीं

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16 JUL AT 19:21

पास होकर भी नहीं सुनता
वो मेरे इतने करीब है
उसका हर लम्हा मेरा
मगर वो ग़ैर का हबीब है
... ये दिल कोई रकीब है

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