मानव जीवन में कंचन-कामिनी वो अड़चन है
जो अध्यात्म की ओर जाने से रोकती हैं।-
करत प्रयास बल बुद्धि से वो,
ताकि जिए निष्कंटक साल हज़ार,
मगर समय उत्पीड़ित करता, है तो वह भी अड़चन धारी,
कसूर क्या फिर मानव का?
बाकी सही गलत सब चित्रगुप्त जानी।
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बहुत मन होता है कि,
कोई नया सामान (लड़की) पटा लूँ ,
पर हर सामान की कीमत देखकर,
दिल की ख्वाहिश को दबा देता हूँ ..!-
जैसे पूर्णिमा की किरणें शीतलता खोती कभी नहीं,
वैसे ही सांसारिकता की अड़चनों से कोई बच सकता कभी नहीं।
छनकर आती है कला-साधना श्रद्धा और भक्ति की कोख से
ईश्वर प्रदत्त कला की वेदी से कोई भी दूर होता कभी नहीं।-
मन का संकुचन
कहने में अड़चन
जिम्मेदारी का बोझ
बहाने की खोज
पड़ोसी के सवाल
घर में बवाल
रिश्तेदारों के ताने
दिल किसकी माने
बढ़ती प्रतियोगिता
घटती उपयोगिता-
हमारे तुम्हारे मित्रवत मौन की
आज महज इतनी गर्जन है
कभी हमारी दूरी अड़चन थी
आज तुम्हारी माँ अड़चन है-
जरा चलना संभल कर राह में अड़चन बहुत हैं
न घबराना कभी मुश्किल डगर तड़़पन बहुत हैं
रखा जिसने भी अपना हौसला कायम सफर में
बना सबके दिलों को वो आज धड़कन बहुत हैं
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तुम ठोकरों से अपनी जिसे कभी ठुकरा देते हो,,,
वही पत्थर जमीं पे पड़ा मुश्किल में काम आता है।।
savi-
सफलता का यही रहस्य है कि तुम बस एक रहस्य बने रहो। जितना खुलोगे, जितना अधिक लोग तुम्हारे बारे में जान लेंगे, वे तुम्हारे जीवन में उतना ही अधिक अड़चनें पैदा करेंगे।
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