Pratyush Raunak  
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Joined 22 November 2018


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Joined 22 November 2018
5 DEC 2023 AT 3:05

यूं बदले - बदले लोगों में मंजर मिले
कि जैसे गांव में घुसपैठिया शहर मिले

तुम्हारा मिलना बिल्कुल ऐसा लगता है
कि जैसे ठंड में फ़क़ीर को स्वेटर मिले.

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10 FEB 2023 AT 4:36

है ये आपकी मर्जी के करें, न आगे हाथ करें
क्या ये ज़रूरी है कि दोनों मुहब्बत साथ करें!

शोर करती हुई इस दुनिया के घाट पर
कोई चाहिए जिससे ख़ामोशी में बात करें

ज़िन्दा रहे किसी मोड़ पर गुंजाइश मिलने की
सो कभी किसी से न आख़िरी मुलाक़ात करें

सारे दोस्त एक ही लंच में खाया करता थे
किसे फुर्सत थी कि वहाँ ज़ात - पात करें!!

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28 JUL 2022 AT 21:01

#ThursdayThoughts

Just a simple sketch. She didn't want to be a part of your life & It's ok. LET HER GO!
Rather to ask for reasons or to rant on it for months.

You loved her. Perhaps she also loved you! It's enough.

Stop questioning people on their choices. Accept & MOVE ON!

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28 JUN 2022 AT 23:30

हमसे बदल पायी इक आदत न अब तलक
तुमने आदमी और नंबर दोनों बदल लिए.

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16 FEB 2022 AT 1:24

वो ख़ुशी - ख़ुशी कर रहें थे ज़िक्र रक़ीब का
पहली बार उनकी ख़ुशी में हम उदास हुए.

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2 FEB 2022 AT 23:26

बिछड़ने के बाद,
तुमसे पहली बार मिलने पर,

ये सोचा है मैंने कि,
नहीं करूँगा तुमसे बात
करूँगा इग्नोर
नहीं देखूंगा तुम्हारी तरफ़
या,
पूछूँगा वो तमाम सवाल,
जिनके ठीक ठीक जवाब दिए बग़ैर की तुम हो गई थी रूख़सत,
मेरे जहान से.

मगर मुझे अक्सर एेसा लगता है कि,
तुम पर नज़र पड़ते ही रंजिशें ख़त्म हो जायेंगी,
मेरी सख़्ती पिघल जायेगी

और 'भूल जाऊँगा' मैं ख़ुद पर लगाई हुई तमाम पाबंदियाँ..

जैसे भूल जाता है कोई छोटा बच्चा
अपनी स्पीच,

पहली बार स्टेज पर जाते ही..

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21 JUN 2020 AT 20:53

इनकी जेब में दिलदारी की दुकाँ होती है
पर अपने लिए फुटा-कौरी भी कहाँ होती है

जज्बाती रवैये से परहेज है इनका,
इनकी आँख़ें ही इनकी ज़ुबाँ होती है

यूँ तो होते हैं ये हथेलियों का सूजन
पर हर एक पिता में एक माँ होती है

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20 JAN 2022 AT 1:59

कभी तो सोचती होगी तुम मेरे भी बारे में
कभी तो हम भी तुझे याद आते होंगे.

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13 JAN 2022 AT 2:26

चैन बेच कर गर ख़ुशियाँ पाई है
फिर तो उदास रहने में भलाई है

बद-हवासी से भरे इस कलजुग में
जिस्म दरअस्ल एक हसीन बुराई है

मुझे डर है तू फिर से चली जाएगी
इसपे ख़ुश नहीं कि तू लौट आई है

आॅनलाइन चल रही इस दुनिया में
मिलना इस क़दर भी एक जुदाई है

हुस्न ही सबसे बुरा ज़हर है और
हुस्न ही सबसे अच्छी दवाई है..!

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23 NOV 2021 AT 21:12

किसी के साथ प्रेम संबंध में आने की ख़ुशी
साझा करने से मल्टीप्लाई होती है..

मगर,
किसी के चले जाने का दु:ख
साझा करने से भी डिवाइड नहीं होता!

एक उम्र तक नहीं.

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