कभी दर्द बनी कभी दवा बनी
गरमी की शीतल हवा बनी
कभी मुश्किलें भी लाई उसने
करके रिश्तों में आगजनी
कुछ चोंटे उनको भी आई
कुछ चोंटे मुझको भी आई
कभी दूर रहकर भी साथ रहे
कभी साथ में रहकर तन्हाई
कभी हर्ष कभी संघर्ष रहा
कभी झगड़ा चरमोत्कर्ष रहा
कभी सभ्य विचार विमर्श रहा
खट्टा मीठा पूरा वर्ष रहा
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मैं बार बार बिखर जाता हूं
किसी टूटे हुए माला के मनके कि तरह
मां हर बार मुझे समेट कर
रख लेती है अपने आंचल में
और फिर से पिरोने लग जाती है
एक माला में
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मत देखो मेरी मोहब्बत में कसर कितना है
देखो मेरे प्यार का तुम पर असर कितना है
तुम समन्दर हो मोहब्बत का ये जाना है हमने
पर मेरे तट को छूने वाला लहर कितना है
इश्क अगर जहर है तो जहर ही सही
फिर मेरे लिए तेरे दिल में जहर कितना है
मेरे दिल की हालत मुझको ही बतलाती हो
आंखे तो दो ही है लेकिन नजर कितना है
दूर निकल आया घर से तुमसे मिलने खातिर
खुद ही बतादो तुम्हारे घर का सफर कितना है-
तस्वीरें तो बहुत है
पर उन तस्वीरों की बात ही कुछ और है
जो बयां करती है किसी पुराने समय को
जिसके पीछे है कुछ धुंधली यादें
जिसे खिंचवाने के लिए सज संवरकर स्टूडियो जाना पड़ता था
जिसे देखने के लिए हफ्तो महिनो इंतजार करना पड़ता था
तस्वीरें जो आइना है हमारे अतीत का
जो प्रमाण है हमारे खुशनुमा लम्हों का
जो हमें खींच ले जाती है बचपन की ओर
जो है हमारे जिंदगी का एक अनूठा छोर-
जमीं पुकारती तुम्हे ये आसमां पुकारता
मुझे भी अपना शब्द दो ये हर समां पुकारता
प्रेम, दर्द, दोस्त पर गीत है लिखे तुमने
मातृभूमि पर लिखो हर दिल और जान पुकारता
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दिल की बातें जाने रात
हरियाली को जाने बरसात
कैसे जानू खत में तुमको
कर लो पल दो पल मुलाकात-
नए वर्ष में नई अभिलाषा
लिखें खुशियों की नई परिभाषा
दृढ़ संकल्प कर दीप जलाएं
करके मन में प्रज्वलित आशा-