बस इतना चाहिए, ए ज़िन्दगी
जब ज़मीन पे बैठू, तो लोग उसे
बड़प्पन कहे, औकात नहीं।-
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कर्मभूमि... read more
जिस तरह गरीब के लिए छत ज़रूरी है
उसी तरह बाप का साया ज़रूरी है
अगर ये दोनों आपके पास है तो खुदको खुशकिस्मत समझिए।-
तृष्णा, माया और लोभ में भटक रहा इंसान
नज़रों से अब खोने लगी अपनों की पहचान।-
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं !!
सम्बन्ध कोई भी हों लेकिन
यदि दुःख में साथ न दें अपना,
फिर सुख में उन सम्बन्धों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं !!-
ऋणी हूं हरि जी तुम्हारा, जो बुरा वक़्त दिखाया है
और जो मेरे सगे बनते थे, उनका मुखौटा गिराया है।-
सपने के लिए हम अपने शहर से ही मुहँ मोड़ लेते हैं
हम लड़के घर बनाने के लिए अपना घर ही छोड़ देते हैं।-
इस चाँद की उम्र भला कौन जान पाया है
देखते तो सभी हैं उसे पर छू कौन पाया है।-
मुझसे पूछ तो लेते एक बार जानें से पहले
जो ग़लतफ़हमियां थी उन्हें मानने से पहले।-
ये जो तुम चेहरा पढ़ने का हुनर रखते हों
इससे माँ बाप का चेहरा क्यों नहीं पढ़ पाते हो
और जिनसे आज वज़ूद है तुम्हारा
अफ़सोस उन्हीं के अश्कों को नहीं देख पाते हो।-
जो निकली थी एक पुराने गुल्लक से
जिसमें क़ैद थे किस्से खट्टे-मीठे से
फ़िर पुरानी यादें ताजा होने लगी थी
जो जिंदगी की भाग-दौड़ में सो गई थी
गुल्लक ने आज मुझे फ़िर से जगा दिया
मुझे मेरे बचपन से मिला दिया।-