अगर मरहम लगाने नही है कोई तो
जख्म अब तुम भी अकेला छोड़ दो
यूँ तन्हां रहना नही है हमको
मेरी तन्हाई अब तुम भी अकेला छोड़ दो
नहीं है कोई रुमाल देने वाला
तो आँसू अब तुम भी अकेला छोड़ दो
अगर हो पता मेरी परछाई का
तो उसे भी ये खबर भेज दो
मैंने अकेले छोड़ने की अपील
आज उससे भी की है-
तू न थका है कि फ़िर हिम्मत कर तुझे और चलना है
क्या हुआ जो तू है अकेला मत लड़खड़ा तुझे और चलना है
जीवन पथ मुश्किलें डगर डगर की तुझे और गिरना सम्भलना है
तेरा साथी तेरा अकेलापन है कि मुस्कुरा तुझे और चलना है
ग़र मंज़िल नज़रों से धुँधला जाए तो आँखें मीच कर तुझे बढ़ना है
थपकी देकर स्वयं सो जाना की मन्ज़िल दूर है तुझे और चलना है
तेरा पंथी तू स्वयं है खुदका सारथी बन तुझे ही अपनी राह बनाना है
रोना मत किसी गड्ढे में गिर कर आँसू पोछ की तुझे और चलना है-
काँटों के सेज पर
मोहब्बत के जंग तेज़ थें।
मेरे ख़्वाबों के वो सतरंगी पैर,
इस जंग में उतरने के लिए ख़ेज़ थें।
ज़िंदगी जीने की चाहत थी,और
पैसों की तंगी में फटे मेरे जेब थें।
हज़ारों कश्मकश में उलझे रहें हम,
और सामने रणक्षेत्र यक़ीनन तबरेज़ थे।
इन हाथों ने शमशीर तो पकड़े थें,
जिनके आगे खड़े मेरे अपने थें।
जंग हारना तो तय था मेरा,
इस क़िरदार में हमारे कुछ ऐसे रंग थें।-
एक एक करके सब छोड़ कर चले गए
बस अकेलापन ही साथी बन कर रह गया
उसे भी अब जाना है किसी और के पास
मेरे साथ रहते रहते वह भी परेशान हो गया-
कुछ इस तरह
नज़रियों में फर्क देखा है मैंने।
लिखने की क्या बात करते हो,
शायरों का बाजार देखा है मैंने।
क़लम के जरिए निकालकर रख दे,गर कोई दिल अपना,
नज़र से गुजरकर लोगों को नजरअंदाज करते देखा है मैंने।
ये तो बात हुई एक पहलू की,
जिसका दूसरा पहलू भी देखा है मैंने।
पोस्ट के नाम पर चाहे वो कर रहें हो कितनी भी टट्टी,
आँखों पर पट्टी डाले,बेवकूफों को सूँघते देखा है मैंने।
कुछ इस तरह,
नज़रियों में फर्क देखा है मैंने।-
खुदको खाली कर तेरी तन्हाई भरनी है
इस तरह कलम सा इश्क़ करना है मुझे
तुम घाव से क्यों डरते हो हमदम
खंजरों के शहर में मरहम सा बिकना है मुझे
ऐसे आधा तोड़ के मुझे घबरा मत
तेरे इश्क़ में अभी राख बनना है मुझे
सिर्फ अश्क बहाना इस दर्द की हद नहीं
सैकड़ों रातों का पहरेदार बनना है मुझे
मुनासिब है तुम नजरें चुरा के भाग जाओ
वरना मेरी वफाओं का और कर्जदार बनना है तुझे-
घुटन सी होने लगी है लोगों के साथ रहने में मुझे,
सुकून देने लगा है हद से ज्यादा अकेलापन अब मुझे।-
आकर समेट लो मुझे खुद के अंदर
तेरे बिना बेवजह बिखर रहा हूं में
उजाला बनकर आ जाओ जिंदगी में
अंधेरों में यू हीं घुट रहा हूं में-
दिल का दर्द आंखो में साफ झलक जाता है
लब खामोश रहते है और हाल पता चल जाता है।-
जाते जाते भी अपना हुनर दिखा गई
खुद को सही,मुझे गलत साबित कर गई
मैंने भी मुस्कुरा कर सारे गुनाह कबूल कर लिए,
वो वफ़ा की मूरत,मुझे बेवफ़ा साबित कर गई-