सभी कह रहे है आज नारी का दिन है...
ऐसा कौन सा दिन जो नारी के बिन हैं....
उस नारी के बारे क्या लिखू
जो इस संसार विभिन्न रुप मे स्थित है...
नारी जननी हैं, बिटिया हैं ,
कभी सखा, तो कभी प्रिया हैं...
कभी अनुगामिनी तो
कभी पथदर्शिका हैं...
सम्मान ही उसका श्रृंगार हैं,
स्नेह की हकदार है....
#अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस"
की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
☀️🌴आकाश मिश्रा🌴☀️-
नारी हूँ मैं....
अपने अस्तित्व को खोजती हुई
गर्भ से मृत्यु पर्यन्त अनवरत
उन्मुक्त पंछी सी गगन में उड़ने की चाह
परवाजों का मेरी सीमित है दायरा
प्रकृति ने त्याग,समर्पण,प्रेम,धैर्य सिखाया है
सहनशीलता मेरा सबसे बड़ा गुण बताया है
नारी हूँ मैं.....
(कृपया अनुशीर्षक पढ़े) 👇👇
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रूढ़ियों के बन्ध तोड़ बढ़ रही हैं नारियाँ
कामयाबी के शिखर पे चढ़ रही हैं नारियाँ
मुट्ठी में बांध कर धरा और नाप कर गगन
नित नवीन कीर्तिमान गढ़ रही हैं नारियाँ-
नर से बढ़ कर ना मान मिले, ना देवी का उपमान मिले ।
बस इतना ही काफी है ,उसे अपने हक का सम्मान मिले ।
- मीनाक्षी सिलोरिया-
नारी तुम ही हो सबके पालनहारे।
जीवन को सुरभित कर तू सँवारे।
पर महिला दिवस के दिन ही क्यों,
लगते हैं महिला हित के नारे।
माँ,बहन,पत्नी,बेटी सब तेरे रूप।
नारी तुम हो जग में सबसे अनूप। 08/03/2020
कोई न खींचे उत्थान का खाका,
कोरे ही साबित होते हैं वादे सारे। -विश्वासी
महिला से ही सृष्टि चक्र ये चलती।
जुल्मों सितम सब कुछ वो सहती।
काम उनसे जब निकल जो जाता,
कर देते हैं सब उनको किनारे।
अपने भले ही रूखी-सूखी खाती।
लेकिन घर को स्वर्ग सा है बनाती।
फिर असमानता की बीच में उनके,
क्यों खड़ी करते हैं लोग दीवारें।-
थोड़ी आधुनिक हूँ,कुछ नाता पुरानी संस्कृति से रखती हूँ,
थोड़ी स्वाभिमानी हूँ,थोड़ा नारी होने का अभिमान भी रखती हूँ I-
पग-पग को रोशन वो करती
नर नहीं वो नारी है
सारे दुख को पी कर भी
मुस्कुराती चलती नारी है
कम न आँको जग वालो उसको
हम सबका अभिमान बनती नारी है
रास्तों में चाहें होते कितने भी शूल
उन पर चलकर मंज़िल को छूती नारी है
याद करो लक्ष्मी बाई को जिनको हम सब पढ़ते आए हैं
इतिहास में जिसकी वीरगाथा के गुणगान हमने पाए हैं
उठो सवेरा जैसा भी हो नया मुकाम लाएगा
नारी को नारी शक्ति का मान उसे दिलाएगा
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2020 की हमारी बहनों माताओं मित्राओं गुरुमाताओं को अनन्त शुभकामनाएं
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होना चाहिये प्रतिदिन उनका सम्मान,
नहीं है वो किसी खास दिन की मोहताज,
वो है दुर्गा,लक्ष्मी, सरस्वती और काली,
उनसे ही है जग सारा,उनके बिना है घर अधूरा,
फिर क्यों हो वो किसी खास दिन की मोहताज,
होना चाहिए प्रतिदिन उनका सम्मान.......-
प्रयत्न ऐसा करो कि "महिला दिवस" मनाने की नौबत ही ना आए।
फिर उस रोज़ हम "महिला विजय दिवस" मनाएंगे।-