विनय कुशवाहा 'विश्वासी'   (विश्वासी)
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Joined 21 November 2019


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Joined 21 November 2019

करें उसके लिए कुछ हम,बहुत कुछ जो हमें देता।

सदा  देता  ही रहता है, कभी कुछ भी  नहीं लेता।

लगाओ पेड़  मिलकर के, समय की  माँग है यारों-

विकट परिणाम  अब होंगे,अगर हमने  नहीं चेता।

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करें उसके लिए कुछ हम,बहुत कुछ जो हमें देता।

सदा  देता  ही रहता है, कभी कुछ भी  नहीं लेता।

लगाओ पेड़  मिलकर के, समय की  माँग है यारों-

विकट परिणाम  अब होंगे,अगर हमने  नहीं चेता।

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सभी का हाल बढ़िया हो, सभी की चाल बढ़िया हो।

बजे सरगम फ़िज़ाओं में,सकल सुर ताल बढ़िया हो।

पुराने साल में हम पर, हुआ कुछ भी गलत तो क्या-

निवेदन है  यही  प्रभु से, नया  यह साल  बढ़िया हो।

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कभी भी साख को अपने,गिराना तुम नहीं यारों।

सदा खुद को बड़ा सबसे, बताना तुम नहीं यारों।

नशा,चोरी, जुआ हो या  किसी से प्रेम करना हो-

मगर माँ बाप के सिर को,झुकाना तुम नहीं यारों।

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आज का दोहा

गुस्से में रहता नहीं, सही गलत का ज्ञान।

गुस्से में करते सभी,खुद का ही नुकसान।।

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मदारी हाथ का करतब, दिखा सबको हँसाता है।

जमाना  आज  का ये कब, सही बातें  बताता है।

पता हो आपको जब सच,कोई गर झूठ जो बोले-

तभी तो  मुस्कुरा करके, मजा सुनने  में आता है।

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बिना डरकर  यहाँ  गलती, जो सारे लोग  करते हैं।

उन्हीं सब गलतियों का प्रभु, सदा ही योग करते हैं।

जतन हम लाख ही कर लें, मगर उनसे न बच पाएँ-

सभी कर्मों का फल हमसब,यहीं पर भोग करते हैं।

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आज का दोहा


सबसे छल करना मगर,रखना इतना याद।

छलिया  लाख जतन  करे, होता है बर्बाद।।

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कभी लालच व कोई  दाब से चुनना नहीं नेता।

मिली है वोट की ताकत,सदा चुनना सही नेता।

भले ही आपको सब ही, दिखायेंगे दिवा सपने-

मगर होकर सजग यारों,तभी चुनना कहीं नेता।

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खड़े ऊँचे जो तरुवर हों, न उनसे छाँव मिलता है।

पथिक हों या परिंदें हों, न उनको ठाँव मिलता है।

न जाओ  छोड़  शहरों में, बनाये  आशियाने  को-

बहुत अच्छी रहे किस्मत,उन्हें ही गाँव मिलता है।

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