वो छनकती पायल भी उसकी घायल कर जाती है
उस मासूम सी हंसी की तो बात ही और है
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कलम इश्क़ लिखती है
मैं धड़कता दिल लिए चला तुम्हारी ओर
तुम धड़कन बन तोड़ गए हृदय की डोर-
गर बेटा हाथ से निकल रहा हो घर के थोड़े काम करा लो
सिखला कर उड़ना बेटी को थोड़ा और सम्मान कमा लो-
खुद को भूल मोमबत्तियां जलाने लगे लोग,
जो मोम की थी उसे ही तड़पाने लगे लोग।
बुझ भी गई उसकी लौ तो क्या गम था,
क्यों उस बुझी हुई लौ को जलाने लगे लोग।
वो लड़ती रही हर रोज़ अपने वजूद के लिए,
क्यों उस वजूद को इक रोज़ चीर जाने लगे लोग।
और वो हंसती भी थी खुद को बहलाने के लिए,
क्यों उस हंसी को बेझिझक मिटाने लगे लोग।-
वो नन्हीं चिड़िया उड़ जाती
क्यों पर तुमने उसके काट दिए
उन पंखों के टुकड़े तुमने
आपस में क्यों बांट लिए-
ये नज़रें जरा सी झुकी थी तुम्हारे इश्क़ में
तुमने कमजोरी समझ गुरुर भी कर लिया-
नज़ाकत हमारे भी लबों पर थिरकती होती
तुम इज़हार-ए-मोहब्बत करके तो देखते-
प्रेम में स्वाभिमान छूट जाता है,
प्रेम से अभिमान टूट जाता है।
प्रेम की शक्ति वो भक्ति है,
जिससे पत्थर भी भगवान हो जाता है।-