Ragini Mishra   (रागिनी -सुकृति)
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Joined 13 June 2017


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Joined 13 June 2017
10 NOV 2022 AT 21:32

स्तब्ध निशा सी मौन मैं, खुद से पुछूँ हूँ कौन मैं
अतीत स्मृतियों को सहेज, जीवन पथ से गुजरूँ रोज

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13 MAY 2022 AT 19:07

बातें ये आम हो रही है, बातें तमाम हो रही है
कल तलक न था कभी कोई भी मेरा खैर-ओ-ख्वाह
रूखसत होते ही जहां से खूबियाँ तमाम हो रही है....

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30 APR 2022 AT 23:24

क्या खूब रिश्तों का व्यापार है ....
कल तक दिलों से जुड़े रिश्ते थे.....
आज रिश्ते तो है पर सब रिश्तेदार है........

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14 APR 2022 AT 22:14

स्तब्ध सी खड़ी जीवन पथ पर मैं अकेली
अनबूझ प्रश्नों को ढूँढती जीवन की पहेली

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9 APR 2022 AT 16:27

तन्हा- तन्हा करत जगत सब,
तन्हा के कोलाहल में बौराय |
जब तन्हा अावागमन जगत में,
तब 'सुकृति' काहे तन्हा मन भरमाय ||

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4 APR 2022 AT 22:25

लिबास से तय हैसियत आजकल
लगाव तो बस गुजरे जमाने की बात है....

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3 APR 2022 AT 11:35

काश होता भी यूँ कि बीता पल लौट आता
वो पल बिछड़े मेरे हर इक अपनों से मिलाता
होते वो सारे लम्हें इक बार फिर से हकीकत
जिन्हें ये दिल अब सिर्फ बन्द आँखों में पाता...

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30 MAR 2022 AT 22:40

विरह वेदना लिखती हूँ मैं संवेदना लिखती हूँ
जब असह्य धारण हो संतप्त हृदय प्राण
मैं वनिता कविता लिखती हूँ......

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13 NOV 2021 AT 19:32

आजकल आस पास बदलते अपनों का मेला है
जरा सी तरक्की ने खूब खेल खेला है ......

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3 JUN 2021 AT 16:28

होती जब भी हसरत, उस रब का दीदार करने की
चूम कर माँ के कदमों को,जमीं पर रब को पाती हूँ

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