तुम रहना जरा संभल कर, यूँ पर्दानशीं ना हो जाना.....
नजरों में गिर जाआे भले, नजरों से न गिर जाना....-
तुम चलो मेरे साथ और इक उम्र गुजार लो
और इक उम्र में ही सदियाँ मुझपे तमाम लुटा दो !-
चल थोड़ी कुछ वैसी / नादानियां / करते है
थोड़ा तू मुझे बेपरवाह याद कर लेना
और मैं भी / बस तुझे / निगाहों से चूम जाऊंगी ।।
ये भूल कर , कि ये नादानी भी
हमारी तकदीर कि
एक / आखरी फ़रमाइश / है ।।-
Hum aandhi tufano se guzar kar
aaye hain ,
Mehbub mere,
Humare liye ab koi dehshat ka manjar naya nahi .-
वो किस्सा तो मैंने खत्म कर दिया कबका
मगर उस कहानी से मैं कभी बाहर ना आ सका...-
अब वो बातें वैसी नहीं रही.......,
नजर भर उसे देख लूँ,ऐसी ख़्वाहिश नहीं होती।।-
कितनी नज़ाकत से छूती हैं मासूम बारिश की बूंदे चेहरे को..
इन्हें देख कर लगता नहीं कि कभी इन्होंने बस्तियाँ डुबाई होंगी..-
💞ना हाथ में खंजर, ना तलवार रखता है,
अजब यार है मेरा ,नजरों से वार करता है।
ना इज़हार करता है, ना वो इनकार करता है,
लेकिन यकीन है मुझे कि ,वो बेइंतहा प्यार करता है।
हसीनाओं के संग देख मुझे, ना वो तकरार करता है,
कितना पागल है वो, जो इतना एतब़ार करता है।
बात चाँद तारे लाने की करूँ, तो मुझ पर इख्तियार रखता है
न बातें करूँ फलक की, मिन्नतें वो बार बार करता है।
देख कर उसकी अदाएँ, ये दिल बार बार बहकता है।
और वो रब से हमारी , सलामती की फरियाद करता है।💞-
तुम्हारी रेशमी ज़ुल्फ में , इस क़दर गुम है ।
रिहा , तो चाहते है ।
पर , उलझते ही जाते ।
काली-घनेरे जी भाए ।
इनमें , अज़ब-सी खुशबू रवां ।
कर जाए , मन-ए-शांति जवां ।
जब तुम , इन्हें बेतरतीब बांधती ।
हाय ! मेरी जां भी कहीं उन गिरफ्त में बंध जाती ।
तुम्हारी रेशमी ज़ुल्फ में , इस क़दर गुम है ।
रिहा , तो चाहते है ।
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Mujhe dil par tum agar likh lete
Agar taqdeer se pehle..
Jhalakta ishq Har ek rangon se..
Har ek tasveer se pehle. 😉-