कच्ची उम्र का इश्क़ हारा है मैंने
बड़ी बाजियाँ जीतूंगा
बड़ी दौलत कमाऊंगा,जुआ खेलूंगा और शहजादियाँ जीतूंगा-
insta: @itsakashrajput
FB: Akash rajput
From Mathura
यारी मुहब्बत नशा वफ़ा सब कर चुका हूँ मैं
हर बुरी ज़िल्लत से होकर गुज़र चुका हूँ मैं
इससे ज्यादा भी मेरा कोई क्या बिगाड़ेगा
मौत से पहले कई मर्तबा मर चुका हूँ मैं
कोई वर्षों पुराना इक वादा निभाने की कश्मकश में
साहिब मेरी सारी सल्तनत जल गयी
और ये मिर्ज़े-रांझो वाली दुनिया इल्जाम लगाती है मुझपर
कि कर-कर वादे तमाम किस्म के मुकर चुका हूँ
बहुत इंतजार किया था किसी का
मगर कोई मुड़कर नहीं आया
फिर मैं भी कई वरस अपने घर नहीं आया
ऐसे रूठा था कोई कि अब क्या बताऊं साहिब
आज भी मेरी लकीरों में मेरा मुकद्दर नहीं आया
खैर अब कोई लौट भी आये तो क्या फ़र्क़ पड़ता है
अब अपनी कहानी में आगे बढ़ चुका हूँ मैं
यारी मुहब्बत नशा वफ़ा सब कर चुका हूँ मैं
हर बुरी ज़िल्लत से होकर गुज़र चुका हूँ मैं-
'माँ' क्या होती है मुझे नहीं पता
मैंने 'माँ' के नाम पर सिर्फ उसकी तस्वीरों को देखा है...
बहुत कुछ छीना है मेरे मुकद्दर ने मुझसे
हर बार हारकर मैंने सिर्फ लकीरों को देखा है
ज़िंदगी के इस शतरंज में 'माँ' से बड़ा कोई वज़ीर नहीं
यकीन मानो मैंने तमाम किस्म के वजीरों को देखा है
मैंने दुनिया देखी है दुनियादारी देखी है
मुहब्बत देखी है हर किस्म की यारी देखी है
वफ़ा देखी है गद्दारी देखी है
भीख मांगते हुए मैंने यहाँ अमीरों को देखा है
लोगों के मरते मैंने जमीरों को देखा है
मगर 'माँ' क्या होती है मुझे नहीं पता
मैंने 'माँ' के नाम पर सिर्फ उसकी तस्वीरों को देखा है-
उम्र के इस दौर से मैं अगर बगैर मरे वापिस लौटा
तमाम लोग हैं जो जीते जी मरेंगे...-
तेरी गली तेरा शहर छोड़ने वाला हूं
और ये सब मैं तेरे बगैर छोड़ने वाला हूं-
बदलों को छोड़कर बाकी सब बदलेगा
तुम पूछा मत करो कि कब बदलेगा
मुकद्दर मेरा बदले ना बदले
इसे लिखने वाला मगर वो रब बदलेगा
मेरी मुहब्बत ही मेरा मजहब है
दुनिया कहती है एक दिन इसका मजहब बदलेगा
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ये सोचकर कि कहीं वो जला ना दे
मैंने मेरे गुलाब कभी उसे दिए ही नही
तमाम मुहब्बतें हुईं मुझे तमाम लोगों से
फिर से कहीं इंतजार में ना गुज़र जाए ज़िन्दगी मेरी
इस डर से मैंने मेरे इजहार किए ही नहीं
भिजवाए तो थे वो सस्ते से चॉकलेटों वाले डिब्बे
पता नहीं क्यूं उसने वो लिए ही नहीं
उससे बिछड़ने के बाद हम ज़िंदा तो रहे
मगर सिर्फ ज़िंदा रहे कभी जिये ही नहीं
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ख़ैर जानता हूं मैं भी ज़िन्दगी की हकीक़त लेकिन
मुझे अपनी काबिलियत नहीं ज़िद से बड़ा बनना था— % &-
मर गया वो अ़फसाना फ़साने लिखते-लिखते
पूरी मगर अपनी कभी कहानी ना लिख सका
ये तो लिखा उसने कि राजा वो था
मगर कौन थी उसकी रानी ना लिख सका— % &-