❝ तुझे याद तो रहेगा न ❞
कि मैं तो हौले से हर बार
उन बेपरवाह निगाहों पर
बस यू ही , फ़िसल जाया करती थी ।
कि तू कितनी मासूमियत से
मेरी हर एक खामोशी को , उस अनकहे एहसास कि
हामी समझ बैठता था ।
कि मैं भी कहती थी , कि जी लूँगी तेरे बिना
/शायद/ कुछ उस कदर
पर तेरे दूर जाने के ख़ौफ़ से भी
खुद पर ही झल्ला उठती थी ।
कि मैं हर बार मुकर जाती थी
जब /तू/ इठला कर कहता था
❝ कि सुन न , शायद कुछ तो है तेरे-मेरे दरमियां ❞-
❢हर्फ़-दर-हर्फ़ अब बस सुकून लिखती हूं
❝ मुझे न ❞
तुम्हारी इस धीमी सी सांसो से भी
अब डर लगता है / थोड़ा /
वो क्या है , कि उन हैवानों कि यादे भी
मेरे इस बेजान जिस्म पे
हर पल
बस यूं ही , रेंग सी जाती है
जो मुझे
मेरा / मेरे /ही साथ न होने का एहसास जताती है।
❝ पता है ❞
मुझे न तुम्हारी इन कुलबुलाती सांसो से
इसलिए अब डर लगता है / थोड़ा /
क्योंकि / तुम / उन रेंगती हुई यादों को
बड़ी आसानी से , मुझ पर ही पसीज जाते हो
मेरी जिस्म कि थोड़ी खिल्ली सी भी उड़ा कर
मुझे बस यूं ही , नापाक ठहराते हो।
-
With hand on my hip
he touched smoothly,
Imprinted his love
over my bare back .
Loosened hook
and stretched pink strap
ran his fingers
In casual way .
My piece blushed
by his , each gentle jerk .
Rested his lips
Over my pinna slowly
earing interuppted
but he lusted two more inch
to delight
Our tastebuds
Intensely .
// Trial Room-
हाँ ↬भूल जाऊंगी तुझे भी
पर ये तो बता कि तेरे सांसो की वो गर्माहट
जो मेरे जिस्म पे, यू हौले से रेंग के
मेरे दिल को बस यूं ही छू जाती थी,
तेरी वो मासूम सी मुस्कराहट
जिसे देख मैं दर्द में भी न
बेवज़ह खिलखिलाती थी,
हमारी कुछ वैसी नादानियां
जो उम्र से परे थी,
अरे हम तो दूर रह कर भी
बस यूं ही पास से हो जाते थे,
लब्जों की क्या ज़रूरत
हम तो निग़ाहों में ही खेल जाते थे,
चल बता न
इन्हें कैसे भूल जाऊँ मैं
इस अनकहे एहसास को, कैसे भुलाऊँ मैं।
//कैसे-
तेरी बाहों का नशा ही होगा
जो हर रात, मैं बस यूं ही मदहोश रहती हूँ,
उसे अपना बनाने के लिए
जो मेरा हो कर भी, मेरा ही न हो सका।
//दर्द-
By curving his hand
around my tempting waist
I felt his little soggy curvature,
Ready to curve
around my ending
in pleasurable manner.
Forehead touched
nose tip crossed, slowly.
And we jammed
each-other's breathe
as our juicy softness
met in love
once again.
//Falling in lust-
-
बहुत कुछ खोया है ज़िन्दगी में शायद,
और बहुत कुछ खो भी सकती हूँ,
तुझे हर बार, अपना बनाने के लिए
सिर्फ तेरी सांसो से, खुद की धड़कनों को
हर बार, बस यू ही मिलाने के लिए।-
And I closed my eyes
he increased his holding
near my sweated waist
placing his chin
near my soft pinna
he licked and bite it slowly
His hand showed,
some upward movement,
but Finally collided
with my soft bulged part
and he grasp them
by pressing
and chocking it passionately..
//Pizza hut--
He moved his fingers
in a poetic circulation,
By giggling around
my tight fitted top
Just pressed my curvature,
finding it's way
through my netted bra
felt my chest , rubbing against him
After licking my darkness
sucking it slowly,
He completed
our single lustful night.
//Night-
❝ हमारा इश्क़ / थोड़ा / अधूरा सा था ❞
न उसने ,वो पहला वाला
मदहोशी से भरा ,कभी इकरार किया ।
और मैंने भी ,इस दिल के उन गुमनाम परतों से
इस पहले प्यार का ,वो पहला वाला इज़हार किया ।
❝ पर ये वक़्त थमता नहीं / शायद / ❞
/ और अब / हम अगर कभी यू ही मिल जाए
तो इस अधूरी दांस्ता को भी
थोड़ा मुक्कमल सा तो ,ज़रूर कर जाएंगे ।
❛ एक दूसरे के न हो पाए - तो क्या ❜
किसी और से लिपटकर ही सही
इस अधूरे रिश्ते को भी
बस हौले से , बस थोड़ा सा , बस यूं ही
थोड़ा पूरा / या / शायद उससे भी ज़्यादा अधूरा
ज़रूर कर जाएंगे ।-