कौशल्यानन्दन राम भारतीय संस्कृति, सभ्यता, आदर्श, दया, धर्म, करुणा, सत्य, प्रेम, त्याग, समर्पण और मर्यादा के प्रतीक हैं। अपने कर्तव्यनिर्वहन, साहस, निष्ठा, भक्ति, दृढ़ता, त्याग, न्याय व मर्यादित आचरण के कारण ही राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है।
भारतीय संस्कृति तथा जनमानस में राम एक सभ्यता है, राम एक दृष्टि है, राम एक दर्शन है तथा एक श्रेष्ठ जीवन पद्धति है। वर्तमान में नई पीढ़ी द्वारा भगवान राम के चरित्र, आदर्श, संस्कार व विचारों को आत्मसात किए जाने की नितांत आवश्यकता है तथा मननायक तथा जननायक प्रभु राम के सूक्ष्म रूप को आत्मा की दृष्टि से अनुभूत करने की आवश्यकता है।
रामायण से हमें यह भी सीख मिलती है कि संघर्ष सदैव चलता रहता है। बिना कठिन परिश्रम, साहस और असीम विश्वास के सत्य की विजय कभी नहीं हुई।
राम सभी के आदर्श हैं अत: यह अवसर किसी धर्म, जाति, मत, पंथ, दल, समाज या संप्रदाय का विषय नहीं है। राम की सच्ची पूजा उनके आदर्श, मर्यादा और धर्माचरण को अपने और समाज के जीवन में उतारना ही है। इस भव्य आयोजन के साथ देश तथा दुनिया में समभाव, सद्भाव, प्रेम तथा शान्ति की प्रार्थना की जानी चाहिए।
जय श्री राम 🛕🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩
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ಸುಗ್ರೀವ ಮಿತ್ರಂ ಪರಮ ಪವಿತ್ರ
ಸೀತಾಕಲಾತ್ರಂ ನವಮೇಘಗಾತ್ರಂ
ಕಾರುಣ್ಯ ಪಾತ್ರಂ ಶತ ಪಾತ್ರ ನೆತ್ರಂ
ಶ್ರೀ ರಾಮಚಂದ್ರ ಸತತಂ ನಮಾಮಿ
ಜೈ ಶ್ರೀ ರಾಮ್..-
गर्व से कहो हम हिन्दू है
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इक नया सवेरा आयेगा, खुशियों का पैग़ाम वो लाएगा
हर घर में होगा अनाज, कोई पेट भूखा ना रह पाएगा
हर किसी को मिलेगा न्याय, कोई डर ना अब सताएगा
हर घर में गूंजेगा राम नाम, हर गली में अब भगवा लहराएगा
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मंगलकारी दिन आया है,दीवाली सा त्योहार लाया है,
अवध मै खुशियां लाया है,इतने सालो बाद आया है, प्रभु राम घर को आया है, सत्य पताका लेहराया है,
राम राम बलीहारी मै तो ,राम नाम पे जाऊं वारी।
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5/8/20
किस तीर पे उसका नाम लिखा था, इसका किसी को ज्ञान नहीं ।
था वो रावण, कोई राम भक्त हनुमान नहीं, कहे भरत बिलख बिलख कर, वो अयोध्या ही क्या हैं जिसमें प्रभू श्री राम नहीं।
🙏🙏 विवेक .
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धन्य हो श्रीराम तुम्हारी, एक कोडी नही खजाने मे,
फिर भी तीनों लोक अपने हृदय मे बसा कर, आप रहे बीराने मे..!!
🙏🚩जय श्री राम🚩🙏-
दशरथनंदन, राम राम राम...!!
दशमुखमर्दन, राम राम राम...!!
पशुपति रंजन, राम राम राम...!!
पापविमोचन, राम राम राम...!!-
हमसे हित न समझो हितार्थ का।
हम है भक्त पुरूषोत्तम श्री राम का।
भ्रम मत रखो कि पत्थर किस काम का।
वह भी तैरता हैं जब शब्द हो राम नाम का।-
रघुपति की जय, दशरथ नंदन
राम ललाट पर शोभित चंदन
संग लिए खड़े है जनक नंदनी
देखो कितनी पावन ये वंदनी
दूजी और संग है अनुज लखन
चरणों में है अंजनी पुत्र हनुमत
कितनी सुंदर दर्शन रचना
मात्र पढ़ मन हो मोहक वंदना-
"जय श्री राम"
बात यह आन की है,
तीर चढ़े उस कमान की है,,
बरसों से ओझल था सूर्य जो,
उन सूर्यवंशी श्रीराम के सम्मान की है।।
लहरेगा भगवा परचम फिर से गगन में,
भूमि भी भगवा रंग में रंग जाएगी,,
होगा शंखनाद जब राजतिलक का,
सभी दिशाएं श्री राम के ललकारों से गुंज जाएगी।।
प्यासी अंखियों की तृष्णा शांत होगी,
बलिदानियों का बलिदान रंग लेकर आएगा,,
नमन करता है प्रयाग उन बलिदानियों कों,
जिनके अथक प्रयासों से आज वो सुर्य परचम लहराएगा।।
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