ADITI VATS   (Aditi Vats ❤️)
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Joined 26 May 2021


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24 APR AT 5:57

दिल और आत्मा के चीर हरण की कहानी लिखते लिखते आसूं की बरसात करने लगे, ऐसे मगन हुए लिखने में कि निद्रा रानी की गोद में रहे।

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24 APR AT 5:52

मुझे यूं हर क्षण ना मारो
ना मेरे पेड़ पौधों को यूं उजाड़ो
रहने दो मुझ पर हरियाली
तभी दिखूं मैं जैसे सुंदर नारी।।

पृथ्वी हमसे कह रही
ना मुझ पर यूं अत्याचार करो
ना मेरा तुम आधार छोड़ो
हरे रंग का करूं श्रृंगार
नीले रंग से सजू बार बार।।

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24 APR AT 5:48

जैसे पति पत्नी का रिश्ता
एक दूजे से पूर्ण
एक दूजे के बिना अपूर्ण।।

कलम और कविता
जैसे प्रेमी और प्रेमिका
एक दूजे में खोए
एक दूजे बिना रोए।।

कलम और कविता
जैसे प्रेम और कहानी
हर किसी की एक कहानी
कभी जानी पहचानी,कभी अनजानी।।

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24 APR AT 5:43

There is no respect for the partners!

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24 APR AT 5:38

ईमानदारी से, सच्चाई से, पूर्ण रूप से
कोशिश यही रखनी है
दिल ना दुखे किसी का भी हमारी वजह से।।

अपना किरदार निभाना है
ऐसे कि इस जिंदगी के बाद भी इसे याद रखा जाए
ऐसे कि जनाजे के पीछे की भीड़ याद रखी जाए
ऐसे कि ज़िंदगी के बाद भी सबके दिलों में बसेरा हो जाए।।

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24 APR AT 5:31

मेहनत और लगन के साथ काम करने के बाद भी अगर परिणाम नहीं आता तब इन दोनो का ही कोई अर्थ नहीं रह जाता।

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24 APR AT 5:27

एक दूसरे से भिन्न होता है।
उनका पहनावा,बोलचाल, खानपान सब।
कुछ कुछ चीज़ें हैं जो कुछ हद तक एक जैसी है, जैसे उनका अपने परिवार का ख्याल रखना,उनके लिए जी जान से मेहनत करना और कमाना।
हर आदमी भगवान का फरिश्ता है जो इस धरती पर किसी न किसी मकसद को पूरा करने उतरा है।
किसी का मकसद जल्दी पूरा हो जाता है,किसी को समय लग रहा है।
सबसे प्रेम से रहिए, छोटी सी ज़िंदगी है जो बिन भरोसे की है।

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17 APR AT 8:54

राम लला का जन्म

माता शतरूपा और मनु जी को दिए वचन
पूरा करने आए वो त्रेता में ले ‘नर’ जन्म
नए रूप में, नए रंग में
वो बन दशरथ पुत्र आए अयोध्या में।।

चैत्र मास का शुक्ल पक्ष
कौशल्या माता का था वो कक्ष
नवमी तिथि की दोपहर को
स्वयं विष्णु आए धर्म की रक्षा को।।

लला, ललना से ’राम’ नाम वो पाए
निभाने चंद्र देव और रात्रि का वचन
‘श्याम’ रंग धारण कर
सदैव के लिए ‘रामचंद्र’ वो कहलाए।।

घुंघराले बाल उनके जैसे काले बादल
वो नन्हा सा बालक जानें पूरे ब्रह्मांड का कल
हल्की–हल्की मुस्कान पर उनकी
पूरा जग नज़र उतारे उनकी।।

हर मन में बसे हैं, बस एक ही नाम
कुछ गर ना कह पाओ किसी को
कह देना सिर्फ एक ही बात
“राम – राम”

राम लला के जन्म उत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

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15 APR AT 5:34

पूरा अपना मन खोल कर रख दिया
बारी जब उनको देने की आई
हमने मेज़ के सहारे रख दिया
बाट देखने लगे थे उनके खोलने की
उन्होंने खोलकर उसे बंद कर दिया
ऐसा लगा मानो...
हमने कुछ गलत कर दिया!

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15 APR AT 5:21

अग्नि के है समान
जिसमें खुद को तपाना
गर किसी को अपना बनाना ।।

इश्क नहीं आसान
सागर के है समान
जिसमें खुद को डूबने से बचाना
गर उनकी खुशी को है थामा ।।

इश्क़ नहीं आसान
है जिंदगी के समान
पग पग पर परीक्षा
जैसे हो ये अग्नि परीक्षा।।

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