ऐ ज़िन्दगी तू कितनी खूबसूरत है !
ओंस से भीगी पंखुड़ियों पर सिमटी रौशनी सी तू चमकती है,
फूलों पर बैठी तितलियों सी तू मचलती है।
ऐ ज़िन्दगी तू कितनी खूबसूरत है !..
सागर की गहराई में छुपे मोतियों सी तेरी रंगत है,
दिन के उजालों की तरह हर पल तेरी तस्वीर बदलती है।
ऐ ज़िन्दगी तू कितनी खूबसूरत है !..
कभी सुलगती है तू धूप की तरह, तो कभी ठंडी बयार सी शीतल तू लगती है,
कितनी आरज़ुएँ हैं छुपी तुझमें, सितारों से भी आगे जाने को बेताब तू लगती हैं।
ऐ ज़िन्दगी तू कितनी खूबसूरत है !..
समझना चाहूँ जितना भी तुझे, उतना ही हैरान तू करती है,
किसी अनकही कहानी की तरह हर पल अनजान सी लगती है।
ऐ ज़िन्दगी तू कितनी खूबसूरत है !..
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कविता रंग है तो,
मन मेरा रंगरेज़ है क्या..?
तुमने कहा मैं बोलती कम हूँ!
"मेरे लेख ग़र बोले".......
तो कोई हर्ज़ है क्या..?
_रachna रajput-
পৃথিবী-টা যেন হঠাৎ-ই থমকে গেছে
চারিদিক আজ বড়ই শুনশান ,
‘‘করোনা’’ যেন যমদূতের-ই ন্যায়
নিচ্ছে কেড়ে একের পর এক প্রাণ ।
স্তব্ধ রয়েছে স্বাভাবিক জন-জীবন
মনের মাঝে বাসা বেঁধেছে ভয় ,
সত্যি বলছি ,চলছে না আর কলম
শব্দগুলো-ই হয়তো মৃতপ্রায় ।
বিষন্নতায় রয়েছে ভরে মন
যেদিকে চাই, হাহাকার-ই শুধু শুনি ,
বসন্তের আকাশে ঘনিয়েছে কালো মেঘ
বিশ্ব জুড়ে শুধুই মৃত্যুর প্রতিধ্বনি ।
মন্দির-মসজিদ-গির্জাতে-ও যে
ঝুলে আছে আজ তালা ,
এখন যে তাই ধর্মের ভেদাভেদ ভুলে
সবাই মিলে রুখে দাঁড়াবার পালা ।
জিতবো ঠিকই এই লড়াই-ও
বিশ্বাস এখনো অটুট আছে ,
ধর্ম না হয় হারুক এবার
মানবতার কাছে ।।-
தலைக்கு மேல் வேலைகள்
இருக்கையில் வரிசையாய் வந்து
இம்சை செய்யும்
எழுதலாம் என்று அமர்ந்தாலோ
ஒற்றை எழுத்து கூட தோன்றாது
கள்ளி உன் காதலைப் போலவே
உனைப் பற்றிய கவிகளும்-
कविता कवि के दिल का...आईना कही जाती है
जैसे हों विचार..... वैसे शब्दों में ढल जाती है
जब इसमें कही बात... हर दिल तक पहुँच जाती है
सही मायनों में..... वही कविता कही जाती है
कभी ये हंँसाती है.... कभी ये रुलाती है
कभी व्यंग्य का बाण बन..दिल के आर पार हो जाती है
कभी मांँ का प्रेम... कभी प्रियसी का विरह बताती है
कभी प्रेमियों के दिल के भाव.. कभी दोस्ती दर्शाती है
दिल के हर भाव में.... आसानी से ढल जाती है
कविता वही.... जो सबके दिल को भाती है
जीवन की सच्चाई...कुछ पंक्तियों में कह जाती है
दिलों के दर्द को... अपने भाव से समझाती है
समाज की कुरीतियों पर... उंगली भी उठाती है
हर वेदना पर..... प्यार का मरहम भी लगाती है
कभी मांँ की लोरी.. कभी मिलन के गीत गाती है
कविता वो रचना है....जो हर दिल में बस जाती है
स्वरचित श्वेता गर्ग
वैश्विक कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙂-
बात - चीत कभी ख़त्म न हो
कोई ऐसा एक विषय चाहिए
जिसे हल करने में तुम्हारा साथ हो
कोई ऐसा एक सवाल चाहिए
जो टूट न पाए खींचने से हमारे
मजबूत ऐसा कोई एक धागा चाहिए
और जिसमें रख लूं मैं तुम्हारी अनंत यादें और बातें
कोई ऐसा एक झोला चाहिए-
Tu meri hai prem ki bhasha
Likhti hoon tujhe roz zara sa
Kore kore kaagaj jinpe bekas
Likhta hoon ye khulasa.....
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#विश्व_कविता_दिवस पर विशेष
☺
मेरी कविता
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जब भावो का कलश भरता है
उद्वेलित मन छलक पड़ता है
डूब जाते है शब्द और अक्षर
हो जाती है गुमशुम मेरी कविता |
👉(पूरी कविता कैप्शन में)
#world poetry day
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A happiest
woman
is enough
to make
or describe a
complete
poem by its
emotions
and feelings.-