Rachna Rajput   (रachna "शैलजा" रajpuT)
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an Authentic Soul 💚🖤
Joined 9 February 2018


an Authentic Soul 💚🖤
Joined 9 February 2018
30 MAY 2024 AT 19:46

मौन कभी, मुखर रही,
जिंदगी....
...सरल कभी, विरल रही,
व्यक्त हो न सकी मन से कभी,
वेदनाएँ..
...शून्य सी अनन्त रही...

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15 JAN 2024 AT 19:31

इंसानियत को ढूंढती है जिंदगी,
अब इतने एहतियात से।
हर इंसान खुदा बना बैठा है..
अपने मिजाज से।

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12 DEC 2023 AT 22:46

क्यों न एक बार ये गलती की जाए,
बचपन और जवानी की फेरबदली की जाए।

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12 DEC 2023 AT 22:42

क्यों न एक बार ये गलती की जाए...
बचपन ओर जवानी की फेरबदली की जाए।

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3 NOV 2023 AT 21:18

क्यों न सवाल निग़ाहों में रहें,
कुछ तो वबाल विचारों में रहे।

की जाए क्यों रोशनी चिरागों से रोज़ाना,
कुछ तो वजूद जुगनुओं के उजालों के रहें।

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2 NOV 2023 AT 20:08

लेकर भावों का झोला,
जाने मनवा किस ओर चला।
कभी मोह से लिप्त हुआ
कभी विरक्ति के द्वार चला।

उजियारो का घर छोड़कर,
अँधियारों के ठौर चला।
लेकर भावों का झोला,
जाने मनवा किस ओर चला।

देखकर दुनिया की रंगों-ढंग,
ये बेरंगा- बेढंग चला।
लेकर भावों का झोला,
जाने मनवा किस ओर चला।

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1 NOV 2023 AT 14:35

किसी ने बहुत कुछ खोया
किसी ने सबकुछ पाया।
सुलझी सी जिंदगी को
दुनियादारी ने कितना उलझाया।
कुछ खुश रहें जिंदगी की उलझनों से जूझकर।
ओर कुछ को सुख का एक पल भी रास न आया।

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21 NOV 2020 AT 22:41

दुनिया कहती है जिसका 'उदय' है उसका 'अस्त' होना तय,
लेकिन "छठ पर्व" सिखाता है़ जो 'अस्त' होता है उसका 'उदय'होना तय !
जय छठी मईया।

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30 SEP 2020 AT 23:00

कुछ कोरे कागज
कुछ कहानियां बेहिसाब
कुछ खूबियां,
कुछ खामियां...
बिखरी कभी,निखरी कभी....

पर, रुकी नही..थकी नही,
बड़ी सादगी से, थोड़ी संजीदगी से....
लिखती रही....
मैं ज़िदगी की किताब।

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17 JAN 2022 AT 23:49

खामोशियाँ बोलती है, जनाब....
बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब।

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