Sunita Agarwal   (नेह सुनीता)
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Just a home maker
Joined 15 November 2016


Just a home maker
Joined 15 November 2016
9 OCT AT 9:16

बो दिए है मैने अपनी पीड़ाओं के बीज
उम्मीदों के पानी से रोज सींचती हूं उन्हें
देखना एक दिन खिलेंगे इनमें खुशियों के फूल ।

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29 SEP AT 0:40

तमाम तरहा की रवायतें करता है
एक लम्हा भी तन्हा कहां रहता है
किसी की स्मृति हो आती है अचानक
कभी विस्मृति की कवायदें करता है
मौन की राह पकड़ने से पहले
दिल बातें बहुत करता है




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28 SEP AT 13:59

खींचना हौले
कांच से भी नाजुक
रिश्तों की डोर ।

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28 SEP AT 0:07

बेटी सयानी
ढूंढ़ रहें बाबुल
नया पिंजरा।

फुदके गाये
बाबुल के आंगन
लौटी चिरैया।

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27 SEP AT 0:29

हर्षिता को छोड़ सभी की आंखे नम थी । पापा, मां,छोटू ।पर हर्षिता बस होठ चबाती हुई सूनी आंखों से सामान पैक कर रही थी।आखिर विदा की घड़ी आई और हर्षिता पापा के साथ हॉस्टल जाने के लिए गाड़ी में बैठ गई और खिड़की से झांकती दबे होठों से हल्का सा मुस्कुराती घर ,मां,छोटू सभी को निहारती बाय बाय करती आगे बढ़ गई। गाड़ी आगे बढ़ने के बाद उसने एक बार भी मुड़ कर पीछे नहीं देखा जैसा वो हर बार हॉस्टल जाते समय रोते रोते किया करती थी।
मां का दिल चिर गया पर वो क्या करती उसने ही तो बेटी को धमकाते हुए पिछली रात कहा था –"देख हर्षू,अबकी हॉस्टल जाते हुए आंखों से एक बूंद भी आंसू नहीं निकलना चाहिए। तुझे तेरी प्यारी मां की कसम है। तुझे ही हॉस्टल जाने का शौक था कितना हल्ला मचाया ।पापा ने तेरी इच्छा पूरी करने में अपनी जमापूंजी लगा दी आज भी ओवर टाइम करते है ताकि तू अपने सपने पूरे कर सके।और अब तुझे हॉस्टल जाने के नाम पर रोना आता है ।अब हम वापिस नहीं बुला सकते तुझे वहीं पढ़ाई पूरी करनी होगी ।क्योंकि उतना पैसा बर्बाद करना हम अफोर्ड नहीं कर सकते। अब तुम्हारा फर्ज है अच्छे से पढ़ाई करके अपना भविष्य बनाओ और पापा की मेहनत को सफल करो।"
कह कर मां ने उसे गले लगाया और हर्षिता भी मां से लिपट गई और वादा किया कि अब वो ध्यान से अपनी पढ़ाई पूरी करेगी हॉस्टल जाते हुए एक बूंद भीआंसू नहीं निकलने देगी। मां के आंसू थम नहीं रहे थे।

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26 SEP AT 15:07

विधा –हाइकु

लिखे जो ख़त
फाड़ डाले मैने ही
ख्यालों में तेरे ।
😅

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26 SEP AT 1:02

बढ़ा ही देती
समझौते की रफ्फू
रिश्तों की उम्र ।

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26 SEP AT 0:29

मुखड़े पर मीठी मुस्कान
जिव्हा पर सजे तीर कमान
होती नहीं ऐसे पहचान ।

लाख लुटावे स्वर्ण माणिक
देना जो सीखे न प्रेम सम्मान
होती नहीं ऐसे पहचान ।

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3 JUL AT 17:01

धन आवे पाछे लोगां ने
बदलता देर कोनी लागे।

करम चोखो करो भाग ने
बदलता देर कोणी लागे ।

गल्लो मिलया पाछे टाबरा ने
बदलता देर कोणी लागे।


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16 JUN AT 23:19

टिकते कम ,मेड इन चाइना हो गए है रिश्ते भी आजकल ।

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