हम फुरसत से बैठे हैं
इंतज़ार का जाम पिये...
तुम फुरसत से आना
प्यार का नाम लिये...-
ना जाने दिल के किस कोने हैं
अब तो शोर ही शोर है,
ना जाने क्यूं त... read more
बे-लिबास भी वो दरख्त किया खूब लगता है ।
काले बादल भरा आसमान भी किया ख़ूब लगता है ।
खूब लगता है वो हर नाजारे यहां,
जिनके दिल के नजरिए में हर नाजारे खूब लगते हैं...!-
कुछ इज़हार करना था तुझसे...
कर लूं क्या... ?
चल आज कर ही लेती हूँ...
(इज़हार-ए-मोहब्बत अनुशीर्षक में)
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तू टूट गई है या तुझे तोड़ा गया है ?
तू दुखी है या तेरा दिल दुखाया गया है ?
तू इतनी रोती क्यूं है ?
तुझे कोई रुलाया है क्या...?
रोते तो अब सब हैं,
वजहों की ही बस अंतर है
वरना आंसू तो वो ही है।
रोना, टूट जाना, हार मान लेना
ये ज़िन्दगी थोड़ी है...!
कौन है जो हारा नहीं, दिल उसका टूटा नहीं...!
और कौन है जो रोया नहीं, कौन है जो कुछ खोया नहीं...!
टूटे, बिखरे और हारे, रोए भी हैं,
अब चल उठ तो सही, अपने पलकों पे उड़ान भर तो सही,
बिखरे हुए मन में कुछ सपने समेट तो सही...
हार की शौक नहीं जीत थोड़ी तैयारी कर
इंतकाम की सोच नहीं इम्तिहान की तैयारी कर...-
वो बेरंग भी कितनी ख़ूबसूरत लगती है,
मोहब्बत में हर दिल की जरूरत लगती है...-
उस "रिश्ते" को नाम क्या दूं...?
जिस में "मैं और तुम" से ज्यादा "हम" है...
वो "निशान" को कहां छुपा दूं...?
जो है "मुझमें" मौजूद मगर वजूद उसमें ज्यादा "तेरा" है...-
मैं कुछ लिखी नहीं और तू भी कुछ पढ़ पाया नहीं
मैं कुछ बोली नहीं और तू भी कुछ समझ पाया नहीं
गुफ्तगू तो दिल से दिल तक का था, फिर क्या हुई गुस्ताखी कि
इश्क़ को मोहब्बत का कुछ पता भी मिल पाया नहीं...-
आज तुझे एक बार और ये एहसास दिलाती हूं
शुरुवात प्यार का ताउम्र तक ही है,ये वादा करती हूं
मेरे दिल जोड़ने के लिए गुलाब तोड़ दूं,लाज़मी तो नहीं,
फिर भी बिन गुलाब के प्यार का ये इज़हार करती हूं...— % &-