रिश्तों में पूर्ण पारदर्शिता,
रिश्तों को तोड़ देती है...!-
सुलझे हुए प्रश्नों में खुद को उलझाया है मैंने
तुम्हे क्या पता खुद को कितना सताया है मैंने-
मोहब्बत भी अक्सर उन्ही से होती है
जिनकी मोहब्बत कोई और होती है..!!-
वादे, इरादे और दोस्ती में किए दावे
सब भूलने लगी हो
बताओ तुम्हें कहां तक याद दिलाऊं?-
कमियां हैं तभी तो इल्जाम लगा रहें हैं
खूबी होती तो तुम्हें दिल से लगाते...!-
सिर्फ़ शुद्ध ही नहीं मुझे पवित्र होना है
मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं
मुझे सीता जैसा चरित्र होना है..-
दुनियादारी नहीं समझ आती मुझे
अपने तरीके से समझाओगे क्या?
गलत राह पर चलू जब मैं
सही राह दिखलाओगे ना?
सही गलत का भेद नहीं समझ आता
तुम अंतर दोनों का समझाओगे क्या?
फैसला जब भी गलत हो मेरा
तुम फासला तो नहीं बढ़ाओगे ना?
प्रेम में थोड़ी कच्ची हूँ मैं
तुम पूर्णता में कर पाओगे क्या?
बात- बात पर रूठ जाती हूँ मैं
तुम हर बार मनाओगे क्या?
कई सवाल जेहन में हैं मेरे
तुम उनका जवाब बन पाओगे क्या?
हमेशा हमेशा के लिए
तुम सिर्फ मेरे रह पाओगे क्या?-
Self esteem is more important
Than the relationship in which
You are repeatedly humiliate.-
ठहर गया है अंधेरा मन में
तुम मेरे सूरज बन पाओगे क्या ?
अंजुली भर प्रेम पा कर
आकाश जितना बिखेर पाओगे क्या ?
ग़र सीता का साहस न हो मुझमें
फिर भी मुझे स्वीकार कर पाओगे क्या?
बिना अग्निपरीक्षा लिए
मुझ पर विश्वास कर पाओगे क्या?
सती जितना त्याग नहीं है मुझमें
फिर भी मेरे महादेव बन पाओगे क्या?
सती जैसे सती हो जाने पर
महादेव जितना प्रेम कर पाओगे क्या?
ठहर गया है अंधेरा मन में
तुम मेरे सूरज बन पाओगे क्या?-