भस्म मलूं और ध्यान धरुं मैं रहुं मगन ही भोले में
खुली जटा व हाथ में कमंडल धुन लगी है भोले में।
तप करुं और योग धरुं मैं तपस्वी बनूं मैं भोले में
अंग अंग का मोह नहीं है आशीष करुं मैं भोले में।
गेरुआ वस्त्र ही भाये मुझको त्याग करुं मैं भोले में
रुद्राक्ष की माला मैं पहनू गुम हो जाउं मैं भोले में।
सब मोह माया सब है मिथ्या अर्पण सब भोले में
भोले प्यारे सधुक्कड़ी प्यारी मोक्ष प्राप्ति भोले में।
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इतने सरल कहाँ है दिलो के रिश्ते....
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ना जाने कितने जन्म लिए सती ने शिव को पाने के लिए...
हर हर महादेव🔱
🙏🙏🙏
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तपस्या अगर पार्वती जी की थी..
तो प्रतीक्षा भी तो शिव जी की रही होगी!!
कब आसां रहा है प्रेम भगवान के लिये भी??-
इंतजार की घड़ी अब हो गई है पूरी
लाखो कोशिशों के बावजूद भी बरसो की तपस्या रह गई है अधूरी ✍️-
इन अप्साराओं की कथाओं ने तीनों लोकों को नचाया है
संन्यासियों का सन्यास भंग,देवो की मर्यादा भंग और हमें तो इन्होंने पागल बनाया है..!!-
badi sadgi se nibhate hai o
Khud - farebi ka farz
Har Kisi se kahte hai
tum jaisa koi nahi-
पहले यक़ीन नहीं होता था, अप्सराओं की कथाओं पर,
तुम्हें जब देखा तो जाना, तपस्या भंग कैसे होती है।-
बुराईयों के इस दौर में सादगी से रहना
कतई एक कठिन तप से कम नहीं है!-
तप की महिमा महान,
तप कर ही,
कनक है निखरे।
तप से ही,
समग्र हो शक्तियां,
तप बिन सदा,
व्यक्तित्व है बिखरे।
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