हम सारी ज़िंदगी बस एक ही चीज़ के पीछे भागते रहते हैं.. कि लोग क्या कहेंगे
लोग क्या कहेंगे....
न ढंग से जीते हैं न किसी को जीने देते हैं
औसत होकर रह जाती है ज़िंदगी.. इस समाज, इज्ज़त और लोगों की परवाह करते करते
खुल कर कभी अपने मन का नहीं कर पाते
न खुल कर हंस सकते हैं न रो सकते हैं
न जी सकते हैं न मर सकते हैं...क्यों
क्योंकि....लोग
हा भई हां... यही सोच के कि लोग क्या कहेंगे
फिर भी लोग वही कहते हैं जो वो कहना चाहते थे
और जो वो कहना चाहते हैं...
क्या कुछ गवां देते हैं हम इन लोगों के चक्कर में
हमारे सपने, खुशियां,अरमान , प्यार और न जाने क्या क्या
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अपने खुशियों की बागडोर कभी किसी और के हाथ में नहीं देनी चाहिए..जब गिरना और संभलना खुद है
जब खुद ही खुद का सहारा बनना है
तो क्यों किसी को ये हक़ देना कि वो तुम्हे हसाए वो तुम्हें रुलाए?
कठपुतली का जीवन क्यों जीना
भावनात्मक रूप से किसी पर निर्भर होना गलत नहीं है..पर उसको तुम्हारी कमज़ोरी समझ ली जायेगी
तो....be alone_be Happy 👍😊
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जीवन के मुश्किल दिनों में जब आप अकेले सफ़र कर लो,तो फिर बाद में किसी के होने न होने से फ़र्क पड़ना बंद हो जाता है।
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जिसे अपना समझकर थे गलतफहमी में हम अब तक
वही सबसे पराया है बहुत ही देर से समझे
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नहीं कुछ मायने तेरे हैं मेरी ज़िंदगी में
फ़र्क पड़ता नहीं मुझको.. रहे तू या रहे ना
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बातों बातों में उसने वो बात कही
जो सुनना और सहना दोनों मुश्किल था
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जिसको अपना सब कुछ मान के बैठे हो
वही तुम्हारी बरबादी का कारण है
प्यार मोहब्बत सब कहने की बातें है
वही तुम्हारा प्रेम तुम्हारा दुश्मन है
जबसे दिल टूटा विश्वास को ठेस लगी
सब रिश्तों नातों से थोड़ी अनबन है
अब तो कुछ हो ना हो फ़र्क नहीं पड़ता
क्या पतझड़ और क्या ही सुनहरा सावन है
प्यार मोहब्बत सब कहने की बातें हैं
वही तुम्हारा प्रेम तुम्हारा दुश्मन है।-
तेरी आदत लगी जैसे थी.. वैसे छूट जायेगी
मगर विश्वास की डोरी भी संग संग टूट जायेगी
गया इस बार जो तू दूर
वापस अब नहीं आना
न पड़ना सामने फिर से,ना अपनी शक्ल दिखलाना
बदल हम भी गए जाना,रहे ना पहले जैसे अब
कहीं वो खो गई लड़की जिसे कहते थे भोली सब
कभी अब सामना न हो यही फ़रियाद करते हैं
गलतफहमी में मत रहना कि तुमको याद करते हैं
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अजब गजब सी दुविधा में है
फंसा हुआ व्याकुल ये मन
मन विचलित है
अधर मौन है
हृदय में भी कुछ हलचल है
नीर नयन में भरकर सोचूं क्या होने वाला कल है
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जब बोलने से ज्यादा चुप रहना अच्छा लगने लगे
जब लड़ने से ज्यादा सुकून खामोशियों में हो
तब समझना...अब समझदार हो रहे हो तुम-