PRIYANKA CHANDRA  
1.1k Followers · 642 Following

read more
Joined 22 July 2020


read more
Joined 22 July 2020
29 APR AT 11:06

तू मुझसे यूं रूठकर रुख़सती ना ले
मेरे करीब रह,मेरी पनाहों में तो आ।।

मैं हूं अकेली तू मौसम चार है ठहरा
मुझको बहारें दे,मेरी बांहों में तो आ।।

-


28 APR AT 18:24

.....

-


21 APR AT 22:04

यूं रोज-रोज मैं क्या ही लिखूं तेरे वज्ह को हमदम
मुझे डर है कहीं ये चांद तुझ से रश्क न कर बैठे।।

-


18 APR AT 14:08

एक तरफ जिसे आप श्रृंगार और गहनों में सुंदर लगती हों और दूसरी तरफ वो आपका सम्मान न करता हो तो ये श्रृंगार और गहनें सब व्यर्थ हैं क्योंकि आत्मसम्मान ही एक स्त्री का वास्तविक श्रृंगार और गहना है।
दूसरे की खुशी के लिए घंटों आईने के सम्मुख स्वयं को निहारने से तो अच्छा यही है कि इतना समय आप स्वयं के व्यक्तित्व को संवारने में लगायें, आत्मनिर्भर बनें, स्वयं का सम्मान करें,जिनको लगता आया है कि आप शून्य हैं उन्हें आभास करायें अपनी महत्वपूर्णता का।

-


12 APR AT 13:34

मत कर घमंड तू अपनी बटोरी हुई साक्षर डिग्रियों पर,
तेरे दौर से कहीं अच्छा निरक्षर विचारों का दौर था।।

-


8 APR AT 17:09

धरा पर बसी दुनिया से होकर जुदा
जब हम फ़लक़ के आशियाने रहेंगे।।
बिखेर जायेंगे देह संग सब कुछ यहां
रुह में सिमटे तेरे प्रेम के असासे रहेंगे।।

-


8 APR AT 7:35

बीते हुए दौर का हर एक पल बहुत खूबसूरत होता है और वही भविष्य के हर एक पल को खूबसूरत रूप प्रदान करता है,जब भी उसके विषय में हम विचारते हैं तो खुद ब खुद चेहरे पर मुस्कान आ जाती है अगर हम उस क्षण का अपने मन और हृदय में पुनर्निर्माण करते हैं तो।।

-


7 APR AT 13:41

ये चार सू में फैली हुई मेरे जी की पीड़ाएं हैं
जो काग़ज़ को यूं गमगीन किए जा रही है।।

कुछ मेरे हृदय का दोष है औ कुछ आंखों का
जो यूं स्याही से ज़ुर्म संगीन किए जा रही है।।

-


4 APR AT 7:19

अरे क्या हाल पूछते हो तुम यूं रोज-रोज
रक्त में सनी हुई अंगुलियों से जख़्मों की,
अगर कभी तुम्हें फुर्सत मिले तो फूलों के
लिए बांहें फैलाए कांटों का हाल पूछ लेना।।

-


1 APR AT 14:00

अक्सर हमारी नज़रें वहीं ठहरती हैं जो देखने में आकर्षण और सुंदर हो फिर चाहे वह कोई चीज़ हो या फिर कोई इंसान, हमारी नज़रों में उन सबका कोई मूल्य नहीं जो बहुमूल्य है।
सबको ब्रांडेड चीज़ें पसंद हैं जबकि स्वयं के अंदर पल रहा विचार भले ही अत्यंत तुच्छ हो।

-


Fetching PRIYANKA CHANDRA Quotes