मैं क्या ही करूंगी अथाह समंदर के साहिल पर बैठ
मुझे तो तलब तेरे हृदय में उतरकर डुब मरने की है।।-
नमो बुद्धाय🙏🏻💛
स्त्री विमर्श लेखिका ✍🏻
मेरे प्रेरणास्रोत....बाब... read more
जब भी मैं लिखने बैठूं तो,मदहोशियों
का आलम ऐसा होना चाहिए,
किसी मदिरे का नहीं,बस मुझ में नूरानी
हर्फ़ों का नशा होना चाहिए।।
-
दिल को आराम,धड़कनों को नया आयाम दे चुकी हूं
ज़िंदगी के आखिरी पते पर तेरा बस नाम दे चुकी हूं।।
सहर सी मेरी आंखों को नींद कभी मुकम्मल ना हुई
मैं तड़पते हुए शब को तेरी बाहों के शाम दे चुकी हूं।।
रूह की समग्र बंजर जमीं यूं तो सदा ही प्यासी रही
तेरे आगमन को चौमासे में,हरित क़याम दे चुकी हूं।।
ये सात जन्म,सात वचन तुम जमाने के लिए छोड़ दो
तू आ देख मैं तेरे लिए अपनी उम्र तमाम दे चुकी हूं।।-
बेज़ार होकर तुम मुझ में ढूंढते होगे उल्फ़त लैला सी
लेकिन मैं सुकून से तुझ में बस तुझको ही ढ़ूंढती हूं।।-
ब्रह्माण्ड की सुंदरतम् ध्वनियों
में सर्वश्रेष्ठ है वो ध्वनि जब एक
मां अपने गर्भ में पल रहे बच्चे
की धड़कन को स्वयं में अनुभव
कर प्रथम बार,बारंबार सुनती है।।-
अब खत्म हुआ वो रूठने और मनाने का दौर
वक़्त है नज़रअंदाज़ का,नज़रअंदाज़ कीजिए।।-
मैं लेखिका..मेरी कविताओं में हर एक मौसम का ठहराव है,
मैं यूं बस वरक़ पर सिफ़त सावन के लिख सकती नहीं।।-
बाअदब मैं भीग जाना चाहती हूं तेरे इश्क़ की बारिशों में,
तू अब आ सनम संग अपनी नज़रों का बादल लेकर।।
तेरी संजीदगी ने हमें पहले से ही बेचैन सावन सा किया है,
तू अब छा सनम मुझ पर मेरी अंबकों का काजल लेकर।।-
उनींदी से भरी आंखों में रास्तों के नियात ना मिले
सफ़र मिला मुझे लेकिन उससे ख़्यालात ना मिले।।
जीवन की उलझी मृगतृष्णाओं में मैं जी लेती मगर
मन को मोहलत ना मिली, हृदय को हालात ना मिले।।
-
मेरे लिए प्रेम की परिभाषा
और अर्थ बस इतना ही है
कि मैं तुम्हारे नाम के इन
एड़ियों पर लगे हुए लाल
अलक्तक से लेकर मांग में
सजे हुए सिंदूर के साथ साथ
जिम्मेदारियों के इत्र से भी
सदा यूं ही महकती रहूं।।-