#148
सुनो कवि!
तुम दर्पण हो इस समाज का
इसलिए तुम
जो जैसा है उसको वैसा ही बताना
क्योंकि तुम्हारें सिवा अब यह
आत्मविश्वास, निडरता
साहस और किसी में नहीं है-
डाकू को डाकू कहने की हिम्मत रखने वाला हूं -Swee... read more
#147
बहुत होशियारी से
अपने होशियारी करते है
अपनों को लूटने के खातिर
अपनों से यारी करते है
वाह रे ज़माना
तेरा यह कैसा मिजाज़ है
माँ को बेसहारा किया
बाप से अपने संपति नाम
बहन को परायी कर दिया
और किया भाई से सारा हिसाब
-Sweekar✍️
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#146
मेरे लिए
मेरा यह सफर सन्यास है
और इसके आगे की मंजिल
मेरा रब...
अब अगर
हारूंगा तो जिन्दगी भी हारूंगा
जीतूंगा तो सब जीतूंगा
-Akrosh✍️-
#145
बात तो सही है
बड़े-बड़े सामाजिक व्यक्ति
जो किसी भी रिश्ते के समय, समाज के नियमों, प्रथाओं, रीतियों की बात करते है
एक ऊँचे पद के सामने बस खड़े रह जाते है
-Sweekar✍️-
#141
डर क्या होता है
यह तुम्हारे मिलने के बाद मैं जाना हूँ
दर्द क्या होता है
यह तुम्हारे बिछड़ने के बाद मैं जाना हूँ
-Kavi Pawan ✍️-
#140
जिंदगी चार दिन की है
उसमें
मोहब्बत दो दिन की रंगत है
अपने ,साथ गंगा घाट तक
मोहब्बत भी बस
प्राण निकलने तक का संगत है
वक्त बिताओ अपनी पहचान बनाने में
बस अस्तित्व की यहां तुम्हारे कीमत है
दुनिया चकाचौंध में डूबती जा रहीं है
मगर जरूरी क्या है तुम खोज उसे पहचानो
उठ जाइए
रात बीत अब भोर होने को है
अपने कर्तव्य पथ पर चलिए
अन्यथा सब कुछ खोने को है-
#139
भारत के सारे अनमोल रत्न
सिर्फ़ राजनेता लोग है
बाकी सब तो बस
देश की जनसंख्या में
मात्र भीड़ और वोट है
-Akrosh
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