या अल्लाह मुझे इस क़दर तन्हा कर दे
कि मेरी रूह भी मुझे छोड़ कर चली जाए-
शिकायत क्यों करे तन्हाई से...
आज बरसों बाद इसने हमें हमसे मिला दिया।-
Mein ek akeli raahi
Iss lambe Safar me
Akeli hi Sahi prr
Gaati phiru ❤u zindgi
Mein ek parinda
Ek hi Sahi prr
Saathi bnaa chuki iss neele Aakash ko
Ab lehraati magan ho iss aasaman me
Mein ek tanhaa Chand
Tanhaa hi Sahi
Prr bna chuki humraaz iss tanhai ko
Ab chamkti befikr ho
Akele iss Andheri si raat me
Yahi zindagi ka usul
Jeena h isse toh khush reh ke jeoo
Akele ya Humsafar ke saath
Kya phkr pardhta h-
दियों से जगमगा रहा सारा जहाँ हैं
पर हमें इस रोशनी से राहत कहा हैं
चारों ओर पटाखों का शोर हैं
पर दिल की खामोशी पर कहा इसका जोर हैं
जिनके होने से दिवाली हमें दिवाली लगती थी
जिनकी वजह से हर त्यौहार हर खुशी की चाहत जगती थी
उनके चले जाने से इन त्योहारों मे वो रौनक कहाँ हैं।
खुशियाँ त्योहार तो सब पहले जैसे हैं
पर इनमे वो खुशियों वाली दौलत कहा हैं।-
Har baaten dohra lete hai akele me
Samne to ek lafz nhi kaha jata hai
Jo sath hoke pith pe khanjar marte hai
Aise riston ko apna bhi nhi kaha jata hai-
तन्हाइयों का भी अब जीवन में अलग किस्सा है
कम्बख्त ये वहां भी मौजूद है जहां आप भीड़ का हिस्सा हैं-
जब से आप मुझे छोड़ कर गए हो
अंदर ही अंदर मर रही हूँ
समझ नही पा रही मैं कि
मैं अपनी जिंदगी के साथ ये
क्या कर रही हूँ
आपका वो उस आसमां मे खो जाना
इतना दर्द दे गया हैं मुझे कि
मैं धीरे - धीरे खुद को खो रही हूँ
कभी अपनी तन्हाई कभी अपने दर्द से
लड़ रही हूँ
पर सच तो ये हैं पापा कि मैं
अब किसी भी अपने को खोने से डर रही हूँ
पर यकीन मानिये मेरा आपके दिखाये
आपके समझाए हर रास्ते पर
एक - एक कदम रोज चल रही हूँ
जैसे आप चाहते थे उसी तरह
अपनी जिंदगी मे पापा मैं आगे बड़ रही हूँ।-
पुकारा जो वादी-ए-तन्हाई में अपना नाम,
गूँज के जो दिया सुनाई तो दूर हुई तन्हाई।-
वो अक्सर कहा करते थे जब भी मैं कभी दूर गया
तो सबसे ज्यादा उनकी बेटी रोयेगी
कहा करते थे वो बापस आयेंगे इस इंतज़ार मे
उनकी बेटी खुली आँखें सोयेगी
पर कभी नही कहते थे कि इतना दूर चले जायेंगे
जहा से कभी लौट ना सके
और इस घुटन मे उनकी बेटी अपना अस्तित्व खोयेगी।-
उलझा हुआ सब कुछ सुलझाना चाहती हूं
एक बार खुद को खुल कर रुलाना चाहती हूं
अब और अपना दर्द नहीं छुपाना चाहती हूं
अब झूठा नहीं सच्चा मुस्कुराना चाहती हूं
बहुत कुछ है दफन मेरे दिल में बताने को
सब कुछ एक दफा अपनों को बताना चाहती हूं
तन्हाई में नहीं रहना मुझे तन्हाई से पीछा छुड़ाना चाहती हूं
अब मैं अपनी तन्हाई मां को बताना चाहती हूं।-