Richa   (ऋचा)
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Joined 26 February 2023


Joined 26 February 2023
YESTERDAY AT 15:45

श्वेतहृदया 🤍.......— % &रंग है सोना, रूप है चांदी,
आँखें हैं नीलम
होंठ हैं कलियाँ, दाँत हैं मोती,
ज़ुल्फ़े हैं रेशम
जैसे ग़ज़ल है, जैसे कमल है,
जैसे छलकता जाम 🎶🎶🎶🎶
— % &

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17 JUN AT 18:30

ये ख्वाहिश है ना रहे फ़ुर्क़त अब कोई तेरे मेरे दरमियाँ !
तुम रूह का अपने रूह से मेरे बंधन कोई कर दो न !!



तन्हाई की गहराई में मेरी जान अटक सी जाती है !
मेरे साँसों का अपने साँसों से गठबंधन कोई कर दो न !!



ये नयन मेरे तिशनगी में तेरे बहाते है दरिया-ए-अश्क !
मेरी नज़रों का तेरी नज़रों से अनुबंधन कोई कर दो न !!



मंज़िल चाहे तु हीं रहबर मेरे राह-ए-सफ़र का बन जाए !
मेरे क़दमों संग तेरे क़दमों का निबंधन कोई कर दो न !!



ना हांसिल कर भी तुझको बस एक तेरी बन रह जाऊं मैं !
हर ज़नम ज़नम में तेरे संग मेरा प्रबंधन कोई कर दो न !!

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16 JUN AT 18:19

हमारे प्रेम का कोई
भविष्य नहीं,
बस वर्तमान है
हमारे प्रेम का वर्तमान हीं
हमारा भविष्य है!

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15 JUN AT 20:50

सुनो जाना, तू इज़ाज़त दे अगर तुझ संग प्रेम कहानी लिख दूंगी
तू हाथ थामे रहेगा जो मैं तेरे आगोश को प्रेम निशानी लिख दूंगी

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14 JUN AT 16:20

शाम की मृगतृष्णा में सच्चे प्रेम का अफ़साना !
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11 JUN AT 14:55

तुम तहरीर में मेरे तब भी थे जब तुमको कभी ना देखा था !
तुम हीं थे मेरी स्याही की लकीरें तुम्हे पहले हीं मैंने लिखा था !!

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7 JUN AT 19:49

अब मुझे तुझसे मोहब्बत नहीं
बस इश्क़ और इश्क़ है ¡
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तू चाहे तो कभी देखना जाना
हमने कोई कसर नहीं छोड़ी
तुझसे मोहब्बत निभाने में
हमने मोहब्बत निभाने की सोची इस
क़दर की बिन तेरे अब मेरा मोहब्बत
बन गया है इश्क़ इसी बहाने में
हम इश्क़ अब करेंगे तुझे तेरे बिन
इस क़दर की खुद रूह भूल बैठेगा खुद को,
जो अपनाए तरक़ीब तुझे भुलाने में
हमने लिख दिया है सदा के लिए
इस जिंदगी में जाना तुझे अपना इश्क़
अपने इश्क़ के अफसाने में।

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6 JUN AT 14:53

ये तबस्सुम की खिली हवाएं ठहरती है तेरे लब-ओ-रुख़्सार पर
निगाहों के मयकदे में तेरी पलके मचलती है ज़ाम से इकरार कर
तेरे अबरू के कमान से निकलते है तीर क़यामत के मेरी जाना
तू लगती है मुझे आयत ज़िंदा कोई संग-ए-मरमर की दीवार पर


ऋचा — % &मेरी ज़िन्दगी सवारी मुझको गले लगाके
बैठा दिया फलक पे मुझे ख़ाख से उठा के
यारा तेरी यारी को मैंने तो ख़ुदा माना
याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना — % &Ek ladki ko dekha to aisa laga
Jaise subhon ka roop
Jaise sardi ki dhoop
Jaise beena ki taan
Jaise rangon ki jaan
Jaise balkhaye bael
Jaise lehron ka khel
Jaise khushboo liye
Aaye thandi hawaâ— % &

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5 JUN AT 20:44

नज़में, गज़लें, शे'र-ओ-शायरी, ये मेरे इश्क़ का कोई पैमाना नहीं
कुछ बूँद है मेरे एहसासों का, तूने इश्क़ समंदर मेरा पहचाना नहीं



तू वो दरख़्त है मेरा की पतझड़ में भी तुझमे हीं रखूँ ठिकाना मैं
आए जाए सावन बहारें तेरे सिवा मेरा अब कोई आशियाना नहीं



मिलेंगे नहीं मेरे अलफ़ाज़ों में तुम्हारे लिए मेरी शिद्दत की गहराई
सब्र से पढ़ हरकतें मेरी सांसों की बिन तेरे इनका होता आना नहीं



मेरे हयात के चिराग रहते झिलमिल तुम्हारे हीं दीदार से हमदम
मेरी निगाहें सजती है तिशनगी में तेरे कोई सुरमे का घराना नहीं



खुद की हीं हो जाती हूँ बैरी मैं जिन लम्हें में रूठ भी जाऊँ तुझसे
तू कैसे समझेगा जाना मेरी इश्क़ की हदों को तूने अभी जाना नहीं

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4 JUN AT 20:44

प्रीत की प्रदक्षिणा !
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