मोती बिखर रहे है ज़मीन पर
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दिल पे गुस्सा करो तो भी क्या फायदा
इश्क़ का न तो कोई कानून और न कायदा।-
कब तक पलके झुकाए रखोगे,
नज़रे तो मोरी सिर्फ तोरी तरफ है,
कब तक हमसे खुदको छुपाए बैठोगे
इस प्रीत ने मान लिया प्रीतम तोहे।-
मगरुर होना गर तेरी खासियत थी
तो अपनी अदा में भी कुछ तो बात होगी
जख्म कुछ गर दिल में मेरे है
तो छाले कुछ तेरे दिल में भी होगी
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इंसान ही तो हैं, भगवान तो
में भी नही, तू भी नहीं
गलत तो दोनों है, पर गिरेबान पे अपने झाकता
में भी नहीं, तू भी नहीं
उम्मीदें तो कुछ तेरी तो कुछ मेरी भी है
पर कोशिश समझने की करता में भी नहीं, तू भी नहीं।
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उन वीरों के त्याग बलिदान का
रखना हमको मान है
लहराता तिरंगा हम
भारतवासी का स्वाभिमान है
जिंदगी न्योछायोर इस देश के खातिर
और वक्त आने पर है जान भी हाज़िर
दिला गए स्वाधीनता हमको,
क्या खूब लड़े वो बहादुर वीर
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बड़ी बेहिसाब होती है ये मुहब्बत
पर इतना वजूद खुद की भी रहे
की जब भी देखूं आयेना में खुद को
में में ही रहूं, तू तूही रहे-
थोड़ा वक्त खुदको भी दो
थोड़ी एहमियत खुदकी भी समझो
कोई नहीं यहां कहने वाला
थक गए हो थोड़ा आराम करो।
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प्यार, मुहब्बत, शक़, उम्मीदें,
ताना, गुस्सा, रूठना मनाना,
इन्हीं सबसे से है स्वाद रिश्तों का
बिना इनके क्या वजूद रिश्तों का
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