जिसे मंजिल की चाहत हो, राहों में रह नहीं सकते जो पलकों में पला हो वो कांटे सह नहीं सकते कैसे मैं दुख अपने दर्द को बयां करूं तुमसे जब मेरे आंसुओ के भार को तुम सह नहीं सकते
मिला है जो हथेली पर उसे स्वीकार कर लेना ये गलत है छोटी बात पर तुम आन कर लेना मिले जो राह में कांटे उसे हीं फूल समझो तुम गिरे जो आंख से आंसू उसे मोती बना लेना