"आँखों में सवाल थे, लब ख़ामोश थे,
वो दर्द भी उसका था, और इल्ज़ाम भी।"
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समय की रफ्तार को कौन रोक पाया है,
जो कल था पास, आज सिर्फ साया है।
ना वो लम्हें लौटे, ना वो बात बनी,
समय ने हर एक चीज़ को परखा और परखा कर चुपचाप चली गई।
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समय रुकता नहीं, बस चलता ही जाता है,
जो इससे सीखे, वही इतिहास बनाता है।
हर अंधेरे के बाद सवेरा आता है,
बस भरोसा रखो, वक्त जरूर साथ निभाता है।-
"चलते-चलते कहीं खुद को खो दिया,
अब हर मोड़ पे अपना ही इंतज़ार करता हूँ..."-
चल पड़े थे हम अकेले, एक अनजानी राह पर,
न कोई मंज़िल थी तय, न कोई दिशा थी सर पर।
धूल भरी पगडंडियाँ, और कांटों की सौगात,
फिर भी उम्मीद थी दिल में, मिलेगा एक दिन साथ।
कभी ठहरे, कभी बढ़े, कभी खोए, कभी संभले,
राहों ने सिखाया बहुत, जब हम दर्द से निकले।
हर मोड़ पर एक कहानी, हर चौराहे पर सवाल,
पर हर कदम ने दिखाया, ज़िंदगी का असली हाल।
राहें तो खुद ही बनती हैं, चलने वालों के निशाँ से,
बस विश्वास चाहिए खुद पर, और थोड़ी सी दुआ आसमाँ से।-
"शाम की ठंडी हवा में एक नशा सा है,
हर लम्हा जैसे किसी ख़ास एहसास सा है,
ये वक़्त थम जाए बस यहीं कहीं,
क्योंकि तेरे साथ हर शाम कुछ खास सा है।"
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