Khuun ni wo pani h
Beheti jisme jaldhaar ni
Hriday ni wo patthar h
jisme swadesh ka pyaar ni
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स्वदेश की तरंग को
हम साथ लेके आऐंगे
वतन कि इस ज़मीन पर
हम सच्चे फूल खिलाऐंगे
जग उठे हैं आज हम
हिन्द के जवान हम
वतन की पहचान हम
लक्ष्य पाकर आऐंगे
स्वदेश मेरी जान है
स्वदेश मेरी शान है
स्वदेश में रहेंगे हम
इन्कलाब लेकर आऐंगे
तीन रंग का तिरंगा साथ लेके आऐंगे-
राम हृदय में हैं मेरे,
राम ही हर श्वास में,
राम मेरी आत्मा में ,
राम ही हर आस में!
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गिन पायेगा,उनके गुण
कौन यहाँ,इतने शब्द ही कहाँ हैं,
पहुंचेगा उस शिखर पे कौन भला,
मेरे राम जी जहां हैं....💞-
~~~व्यर्थ कोशिश~~~
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रावण बन राम की नगरी में, मर्यादित को ललकारने वाले।
क्या परशुराम को परशु, कृष्ण को सुदर्शन उठाना पड़ेगा?
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( Full in Caption )-
मैं उसके साथ दुनिया का हर देश घूमना चाहता था,
जो मुझे स्वदेशी कहकर हमेशा के लिए छोड़कर चली गयी।-
मुलायम-मुलायम सी नीली-नीली रात है
थपकती हैं इस दिल को यादें कई
यादों के पालने में कोई खोई-खोई बात है
ओ निंदिया अब आ के तू मेरी बीती लोरी गा के
मेरी खोए सपने दिखला दे, यादों का पालना झूला दे
महकी हवा की रेशमी चादर कहो तो बिछा दूं
नील गगन से चाँद को ले के तकिया बना दूं
चाँदनी ला के, तुमको ओढ़ा के, मैं गुनगुनाऊ गीत कोई
उस पल ही, चुपके से फिर निंदिया आ जाए
पलकों पे जैसे ठहर जाए, मीठी-मीठी निंदिया आए
आहिस्ता आहिस्ता आहिस्ता आहिस्ता
निंदिया तू आ, इन दो नैनों में....-
राम ही तो करुणा में हैं, शान्ति में राम हैं।
राम ही हैं एकता में, प्रगती में राम हैं।
राम बस भक्तों नहीं, शत्रु की भी चिंतन में हैं।
देख तज के पाप रावण, राम तेरे मन में हैं।
राम तेरे मन में हैं, राम मेरे मन में हैं।
राम तो घर घर में हैं, राम हर आँगन में हैं।
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं।।
🙏🌹🚩-
yuhi chala-chal rahi
yuhi chala-chal rahi
kitni hasin hain ye duniyaa
chhod sare jhamele
bhul gamo ke mele
badi rangeen hain ye duniyaa!!
dil ko kyu hain ye betabi?
kis-se mulakat honi hain?
jiska kbse armaan tha
sayad vohi baat honi h!
yuhi chala-chal rahi
yuhi chala-chal rahi!
jivan gaadi hain ,
samay pahiya....
aanshu ki nadiya bhi hain
khusiyo ki bagiya bhi hain
rasta sab👉 tera takke tahiya!!
yuhi chala-chal rahi
yuhi chala-chal rahi!
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फूल खिले इस मन आंगन में,
थोड़ी प्रेम धूप तुम दे जाओ।
फिर जब सुगंधित हो उठे ये फूल,
तो साथ इसे तुम अपने ले जाओ।।
फिर चाहे मुझे गूंथ कर माला में,
किसी और को समर्पित तुम कर देना।
गर इस योग्य न ठहरा मैं तो,
तोड़ मुझे शिवचरणों में अर्पित कर देना।।
पर न देना मुझे तुम कभी उस प्रेमी को,
जो मुझसे अपनी प्रेमिका को रिझाता है।
उससे अच्छा मैं हो जाऊं उस फूल-सा,
जो लावारिश सा सड़को पर धूल फांकता है।।
अगर हो सके तो पहुंचा देना तुम मुझे,
एक ऐसे स्थान को।
जहां मरकर भी काम आऊं में,
अपने देश हिंदुस्तान को।।-