Pawan Kumar Shaw   (मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि")
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Joined 10 September 2017


Joined 10 September 2017
23 AUG 2023 AT 22:27

मामा के घर पहुंच कर हमने, रचा आज इतिहास।
बरसों से जो दबी हुई थी, पूरी हो गई आस ।।

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7 MAY 2023 AT 8:20

झुक गई थी वो पर, मेरे लिए वो खड़ी रहती थी।
मैं सुरक्षित रहूँ, उस उम्र में भी वो अड़ी रहती थी।।

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31 JAN 2023 AT 19:46

कैसे किसी के यहाँ, रोटियाँ बच जाती है?
यहाँ तो आलम है कि, अक्सर घट जाती है।

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29 NOV 2022 AT 19:10

है रक्त तिलक निज भाल पे अब,
आँखों में क्राँति की ज्वाला है।
मन जाग उठा रण चंडी बन,
ग्रीवा में अब रिपु मुंडमाला है।

क्या बांधेंगे? मुझको-तुझको ये
रेशम की डोर !, हम ज्वाला हैं।
लय बद्ध हो या, हो प्रलयपूर्ण,
आँधियों ने, हमें तो पाला है।

हैं श्याम भी हम, व राम भी हम
भगत, गुरु, सुख, लाला हैं।
मत छेड़ मेरी तू तारों को,
तन तांडव, मन शिवाला है।

हैं शांत भी हम, व रौद्र भी हम
बस काल, हाल पर निर्भर है।
सींचेंगे भू निज लहू से भी,
गर मानस-मनसा निजभर है।

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13 NOV 2022 AT 23:40

ज़िन्दगी तुझसे ख़फ़ा नहीं,
बस इतनी उम्मीद रखता हूँ।

कट जाए तू भी मुझमें,
बस थोड़ी सी सहूलियत से।

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8 APR 2022 AT 10:16

कभी तो मिल
ऐ ज़िन्दगी !
सलीक़े से
हर बार बेरूखी अच्छी नहीं।

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14 MAR 2022 AT 15:50

खेल बैठे हम, होली नासमझी में,
रंग लाल थें, पर खूं अपना.......

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26 FEB 2022 AT 23:03

माता" का अंगुल थामे आज, स्वर साधिका जुदा हुई।
स्वर की देवी , स्वर कोकिला, माँ शारदे संग विदा हुई।।

🙏🙏🙏🙏🙏

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26 FEB 2022 AT 22:59

बिन धारण तप-ध्यान अधूरा, असि बिन मूल्यहीन म्यान।
धन-वैभव-ओज हीन सब , बिन विवेक, बुद्धि और ज्ञान।।

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24 DEC 2021 AT 19:57

सनक
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निगाहों में फलक रखता हूँ।
चाँद-सितारों की ललक रखता हूँ।
नाक़ामियाँ बढ़ाती हैं ज़िद को मेरी,
मंज़िल कदमो में हो, सनक रखता हूँ।

जुनून-ए-ज़हन कम न होने पाएं।
सर पर मैं "कफन" रखता हूँ।
विषधर बहुत हैं राह में अपने,
कुचलने का हरफ़न रखता हूँ।

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